RAHUL PANDEY
कानपुर (Kanpur) बुधवार रात आईआईटी के रिटायर डिप्टी रजिस्ट्रार राजाराम वर्मा (75) की गोली मारकर हत्या कर दी। वर्मा रिटायरमेंट के बाद वकालत कर रहे थे और करोडों की संपति के मालिक थे। बाइक सवार बदमाशों ने पहले घर की बेल बजाई। वर्मा ने खुद गेट खोला। बदमाशों ने उन्हें बाबुजी प्रणाम कहकर उनके पैर छुए और कनपटी पर गोली मारकर फरार हो गए। बताया जा रहा है कि वर्मा के पास रात को एक फोन आया था। फोन करने वालों ने कहा था कि वे उन्हें कुछ दस्तावेज देने आ रहे हैं। पुलिस कॉल डिटेल्स से फोन करने वालों की पहचान कर रही है।
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फायरिंग की आवाज सुनकर बाहर आए परिजन
फायरिंग और चीख-पुकार की आवाज सुनकर परिजन बाहर आए लेकिन तब तक हत्यारे भाग निकले। परिजन अधिवक्ता को पहले मधुराज फिर रीजेंसी हॉस्पिटल लेकर पहुंचे लेकिन उनकी मौत हो गई। पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने बताया कि मृतक के बेटे नरेंद्र देव की तहरीर पर एनआरआई सिटी के मालिक, राजबहादुर और दो अज्ञात के खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज की गई है। सीसीटीवी फुटेज की मदद से शूटरों की शिनाख्त कराने का प्रयास किया जा रहा है।
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करोड़ों की जमीन का विवाद
राजाराम के बेटे नरेंद्र देव ने बताया कि एनआरआई (NRI) सिटी वालों ने उनकी 17 बीघा जमीन हड़प ली है। 20 साल से मामला कोर्ट में चल रहा है। इसी मामले में बुधवार को कोर्ट में तारीख भी थी और उनका पक्ष मजबूत है। परिजनों का आरोप है कि इसी विवाद में उनकी हत्या करवाई गई है। पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने बताया कि मृतक के बेटे नरेंद्र देव की तहरीर पर एनआरआई सिटी के मालिक, राजबहादुर और दो अज्ञात के खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज की गई है। सीसीटीवी फुटेज की मदद से शूटरों की शिनाख्त कराने का प्रयास किया जा रहा है।
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नवाबगंज थाने के हिस्ट्रीशीटर थे अधिवक्ता
पुलिस कमिश्नर असीम अरुण (Asim Arun) के मुताबिक अधिवक्ता के खिलाफ नवाबगंज थाने में 12 एफआईआर दर्ज है। इसमें से 10 एफआईआर कूटरचित दस्तावेज और धोखाधड़ी करने से संबंधित है। 12 मुकदमे होने पर अधिवक्ता की हिस्ट्रीशीट खोली गई थी, लेकिन 2013 में तत्कालीन एसएसपी के आदेश पर अधिवक्ता की निगरानी बंद कर दी गई थी।
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रात में पोस्टमार्टम कराने से किया इनकार
हत्याकांड की जानकारी मिलते ही सैंकड़ों वकील हैलट पहुंच गए। बवाल और हंगामा करने का प्रयास किया, लेकिन भारी पुलिस फोर्स होने के चलते पुलिस ने हालात संभाल लिया। वकीलों के आक्रोश और भारी तनाव को देखते हुए डीसीपी वेस्ट बीबीजीटीएस मूर्ति ने रात में ही पोस्टमार्टम कराने का प्रयास किया, लेकिन परिजनों ने इनकार कर दिया।
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जेल गए थे अधिवक्ता पिता-पुत्र
अधिवक्ता के बेटे नरेंद्र नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट कानपुर में काम कर चुके हैं। फर्जी दस्तावेज पर नौकरी मिली थी। इस मामले में नरेंद्र नौकरी से बर्खास्त किए गए थे। इसमें नरेंद्र व राजाराम फर्जीवाड़ा करने में जेल भी गए थे। क्योंकि जाली दस्तावेजों और धोखाधड़ी करके नौकरी हासिल की थी।