सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। ज्योतिषों की मानें तो सोमवार के दिन भगवान शिवजी की पूजा करने से राहु, केतु और शनि दोष का प्रभाव क्षीण होता है। साथ ही चंद्रमा भी मजबूत होता है। कालसर्प दोष लगने पर भी शिवजी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। अतः सोमवार के दिन शिवजी की अवश्य करें। लेकिन क्या आपको पता है कि सोमवार के दिन शिवजी की पूजा क्यों की जाती है ? अगर आपको नहीं मालूम है, तो आइए इसकी पौराणिक कथा जानते हैं-
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कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, चिरकाल में चंद्रमा ने राजा दक्ष की सभी 27 मुंहबोली बेटियों से शादी की, लेकिन शादी के बाद उनके व्यवहार में बदलाव आ गया। इस बदलाव में चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र से अधिक निकट आ गए। जबकि अन्य बेटियों से विरक्ति होनी लगी। इससे रोहिणी की बहनों को दुःख हुआ। उन्होंने इसकी शिकायत अपने पिता दक्ष से की।
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जब राजा दक्ष को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने चंद्र देव से पक्षपात नहीं करने की सलाह दी, लेकिन चंद्र देव नहीं माने। इसके बाद राजा दक्ष ने उन्हें शाप दे दिया कि उनकी चमक और आकार दोनों क्षीण हो जाएंगे। इस शाप के चलते चंद्र देव की चमक और आकार घटने लगे। यह जान चंद्र देव ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। उन्हें अपनी आप-बीती सुनाई तो ब्रह्मा जी ने उन्हें भगवान शिव की पूजा-उपासना करने की सलाह दी।
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कालांतर में चंद्र देव ने शिव जी की आराधना की। इस पूजा-उपासना के पुण्य प्रताप से चंद्र देव को अपनी रोशनी वापस मिल गई, लेकिन राजा दक्ष के शाप से वह पूरी तररह से मुक्त नहीं हो पाए। चंद्र देव को शाप से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान शिव को सोमदेव भी कहा गया है। इस वजह से सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने का विधान है।
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