बदली जीवनशैली में गाल ब्लैडर (पित्त की थैली की पथरी) में स्टोन का बनना आम समस्या है। पुरुषों की तुलना में यह बीमारी महिलाओं में अधिक होती है। अध्ययनों के मुताबिक इसके बनने की वजह पाचक रस का ज्यादा समय तक गाल ब्लैडर में रुके रहना, समय पर भोजन न करना, कोलेस्ट्राल का न घुल पाना है। इनकी वजह से गाल ब्लैडर का सिकुड़ना बंद हो जाता है और धीरे-धीरे पाचक रस स्टोन के रूप में विकसित हो जाता है।
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गाल ब्लैडर का स्टोन
कुछ मामलों में संक्रमण के कारण पाचक रस गाढ़ा होकर स्टोन बन जाता है। इसे ही गाल ब्लैडर का स्टोन कहा जाता है। हालांकि यह गाल ब्लैडर के स्टोन और मोटापा, डायबिटीज, हाईपरटेंशन तथा हाइपरकोलेस्टेरोलेमिया जैसे जीवनशैली से जुड़े रोगों के बीच गहरा संबंध है। कई बार इसकी अनदेखी कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को जन्म देती है।
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प्रमुख लक्षण
उल्टियां आना
भूख कम लगना
गैस बनना, एसिडिटी होना
पेट के दाईं ओर ऊपरी हिस्से में असहनीय दर्द होना
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तीव्र संक्रमण
गाल ब्लैडर के रास्ते में या द्वार में जब स्टोन आकर फंस जाते हैं तो ब्लैडर में संक्रमण हो जाता है और मरीज के पेट में तीव्र दर्द होता है।
पीलिया
कभी-कभी छोटे स्टोन ब्लैडर से निकल कर पाचक रस के बहाव में रुकावट पैदा करते हैं। यह पाचक रस लिवर में इकट्ठा होने लगता है। इसके फलस्वरूप व्यक्ति को भूख न लगना, बुखार, बदन और लिवर में दर्द की परेशानी होती है। इस समस्या को आब्स्टेक्टिव जांडिस यानी स्टोन के कारण होने वाला पीलिया कहते हैं। ये समस्या आम पीलिया से अलग होती है।
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पैंक्रियटाइटिस
अग्नाशय की नली व गाल ब्लैडर की नली एक ही छिद्र से आंत में मिलती हैं। स्टोन अगर इसमें रुकावट करता है तो अग्नाशय के पाचक रस भी आंत में नहीं पहुंच पाते हैं। इससे अग्नाशय में सूजन आ जाती है। यह स्थिति बहुत जोखिम भरी होती है।
इन्हें है अधिक खतरा
मोटे व्यक्तियों को
40 वर्ष की आयु पार कर चुके लोग
जिन लोगों को गैस की शिकायत हो
महिलाओं में हार्मोस के कारण अधिक संभावना
उपचार: गाल ब्लैडर के स्टोन का उपचार सिर्फ सर्जरी द्वारा ही होता है। बीते कुछ दशकों से दूरबीन (लैप्रोस्कोपिक) विधि से सर्जरी बहुत ही कारगर, सफल व सुरक्षित हो रही है। इसे आधुनिक उपकरणों से अंजाम दिया जाता है।