इस साल महाशिवरात्रि (MahaShivratri) का पर्व 1 मार्च 2022 दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। यद्यपि मंगलवार को धनिष्ठा नक्षत्र होने से उत्पात योग बन रहा है। ऐसे में यह योग शुभ तो नहीं होता किंतु भगवान शिव तो कालकूट हैं, विषकुंभ को पीने वाले हैं तो उनके साधकों पर कोई भी दुष्ट योग का कोई प्रभाव नहीं हो सकता।
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इस वर्ष शिवरात्रि (Shivratri) पर कालसर्प योग भी बन रहा है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में राहु-केतु जनित कालसर्प दोष होता है, उनको महामृत्युंजय का जाप या रुद्राभिषेक शिवरात्रि (Shivratri) के दिन करने से प्रभाव कम हो जाता है। प्रातः 3:15 बजे चतुर्दशी तिथि का आरंभ होगा और भगवान शिवलिंग पर रुद्राभिषेक आरंभ हो जाएगा। उस दिन महाशिवरात्रि का व्रत भी भक्तगण रखेंगे। भगवान शंकर शिव, भोले नाथ के नाम से प्रसिद्ध है। जो मात्र गंगाजल अथवा सामान्य जल के अभिषेक करने से प्रसन्न हो जाते हैं। किंतु विशिष्ट पूजन के लिए बहुत से साधक अपने घरों में अथवा मंदिरों में रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप का भी अनुष्ठान कराते हैं।
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प्रातःकाल सूर्योदय से पहले स्नान आदि करके भगवान शिव का ध्यान करें। ओम नमः शिवाय अथवा महामृत्युंजय मंत्र का निरंतर जाप करते रहें। भगवान शिव को गंगा जल अथवा सामान्य जल से स्नान कराएं। भगवान शिव को बिल्वपत्र, धतूरा, अंक के पुष्प एवं भांग बहुत प्रिय हैं।
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कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय सर्वप्रथम जब हलाहल विष निकला तो भगवान शिव ने जन कल्याण एवं विश्व कल्याण के लिए उस विष को पी लिया था, किंतु उस विष को गले से नीचे नहीं जाने दिया। इससे उनका कण्ठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ के नाम से जाने गए। उसी विष की गर्मी को शांत करने के लिए भगवान शिव की पूजा चंदन लेपन और उपरोक्त पदार्थों से करने का बहुत महत्व है। शिवरात्रि का व्रत रखने वाले साधक दिन में फलाहार कर सकते हैं। शाम को भगवान शिव मंदिर में अथवा घर पर भगवान शिव का ध्यान करें तो व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण होती हैं।
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