RAHUL PANDEY
Kanpur Stamp Paper News: यूपी के जिलों में ई-स्टांप को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने डायरेक्ट मैनुअल स्टांप पेपर की बिक्री पर रोक लगाई है, जिस कारण कानपुर (kanpur) कोषागार में 2200 करोड़ रुपए का स्टांप पेपर डंप हो रहा है. इससे सरकार का रेवेन्यू बढऩे की बजाय लगातार घट रहा है. अब तक सैकड़ों करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है. इस संबंध में कानपुर कोषागार ने शासन को चिट्ठी भी लिखी है, लेकिन शासन की तरफ से कोई खास कदम न उठाए जाने पर अब रिमांइडर भेजा गया है. ताकि डंप स्टांप पेपर के बारे में शासन कुछ फैसला ले सके.
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नासिक और हैदाराबाद से स्टांप पेपर(Kanpur Stamp Paper News)
कोषागार कानपुर स्थित नोडल स्टांप डिपो से नासिक और हैदाराबाद से इंडेंट भरकर स्टांप मंगाए गए थे, इसके बाद यहां से यूपी के सभी 75 जिलों में बिक्री होती है, यहां 5 रुपए से लेकर 25 हजार रुपए तक के स्टांप की बिक्री होती थी, लेकिन ई-स्टांप व्यवस्था के शुरू होने के बाद सरकार ने नए स्टांप मंगाने के आदेश पर रोक लगा दी है. मैनुअल स्टांप की बिक्री बंद होने से कोषागार में पड़े 2200 करोड़ रुपए के बड़े मूल्य के स्टांप डंप हो गए, इनकी बिक्री हो जाए तो सरकार को हजारों करोड़ रुपए की इनकम हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.
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15 हजार तक स्टांप बेचने की लिमिट(Kanpur Stamp Paper News)
अधिकारियों ने बताया कि वेेंडर्स के पास 15 हजार रुपए तक के स्टांप पेपर बेचने की लिमिट है. जिसमें 10 रुपए से लेकर 5000 हजार रुपए तक के स्टांप पेपर शामिल होते हैं. अगर इन्हें वेंडरों को स्टांप पेपर बेचने की लिमिट बढ़ा दी जाए, तो बाकी स्टांप भी जल्द निकलना शुरू हो जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. जिस कारण करोड़ों के स्टांप पेपर डंप हो रहे हैं. करोड़ों के स्टांप डंप होने से कोषागार के अधिकारियों के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है.
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3 से 4 दिन बाद मिल रहे स्टांप(Kanpur Stamp Paper News)
अधिकारियों के मुताबिक, ई-स्टांप लागू होने से पहले कोषागार से रोजाना औसतन एक करोड़ रुपए तक के स्टांप बिकते थे, लेकिन नई व्यवस्था लागू होने के बाद से अब स्टांप की ब्रिकी महज दस लाख रुपए तक भी बमुश्किल रह गई है. साथ ही अब कोषागार से स्टांप लेने के लिए लंबी कवायद करनी पड़ती है, अप्लाई करने के बाद इसमें 3 से 4 दिन तक का समय लगता है.
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ई-स्टांपिंग लागू करने का यह रहा कारण(Kanpur Stamp Paper News)
अधिकारियों ने बताया कि स्टांप की छपाई पर आने वाला खर्च काफी ज्यादा था. जिस कारण ई-स्टांप की शुरूआत की गई. कोषागार से स्टांप बेचने पर कोई कमीशन सरकार को नहीं देना पड़ता था. अब सरकार को छपाई के खर्च से ज्यादा कमीशन देना पड़ रहा है. फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में 70 परसेंट मैनुअल और 30 परसेंट ई-स्टांप बेचने की व्यवस्था है, सरकार को ई-स्टांप में कमीशन ज्यादा देना पड़ता है,इसके बावजूद ई-स्टांप व्यवस्था को पूरी तरह से लागू कर दिया गया.
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इन इन मूल्यों का स्टांप हो रहा डंप(Kanpur Stamp Paper News)
10 हजार
15 हजार
20 हजार
25 हजार
इन इन शहरों में सबसे ज्यादा खपत(Kanpur Stamp Paper News)
प्रयागराज
मेरठ
लखनऊ
कानपुर
गाजियाबाद
वाराणसी
गोरखपुर
स्टांप(Kanpur Stamp Paper News)
75 जिलों में स्टांप की सप्लाई
15 हजार तक वेंडर्स को स्टांप बेचने की अनुमति
10 से 25 हजार रुपए तक के स्टांप हो रहे डंप
9 महीने पहले सोच विचार के लिए शासन को लिखी गई चिट्ठी
2200 करोड़ रुपए के अब तक स्टांप डंप
70 परसेंट मैनुअल और 30 परसेंट ई-स्टांप बेचने की व्यवस्था
नासिक और हैदराबाद से आते हैं स्टांप पेपर
3 से 4 दिन बाद मिल रहे स्टांप
कानपुर चीफ ट्रेजरी ऑफिसर यशवंत सिंह के अनुसार(Kanpur Stamp Paper News)
‘‘ ई-स्टांप सुविधा शुरू होने पर बड़े मूल्यों के दो हजार करोड़ से ज्यादा स्टांप पेपर खराब हो रहे हैं. इससे सरकार को खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है. मामला संज्ञान में लाने के लिए शासन को चिट्ठी लिखी गई थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. जिस कारण अब रिमाइंडर भेजा गया है. ताकि इस पर विचार किया जा सके.’’
(Kanpur Stamp Paper News)