Maha Shivratri 2022: पार्वती की पति रूप में महादेव शिव को पाने के लिए की गई तपस्या का फल महाशिवरात्रि है। यह शिव और शक्ति के मिलन की रात है। आध्यात्मिक रूप से इसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात माना जाता है। इसी दिन माता पार्वती और शिव विवाह के पवित्र सूत्र में बंधे।
WHEN IS THE FOURTH WAVE OF CORONA COMING : IIT #कानपुर के वैज्ञानिकों ने रिसर्च में दिया पूर्वानुमान UTTAR PRADESH ASSEMBLY ELECTIONS 2022: चिल्लूपार विधानसभा सीट पर बन रहे हैं नए समीकरण ASSEMBLY ELECTIONS 2022: चुनावी दौर ठंडा, शराब कारोबार का बढ़ा धंधा AMUL MILK PRICE HIKE: महंगा होगा दूध, जानिए अब क्या हैं नई कीमतें
माता पार्वती ने ऐसे प्राप्त किया महादेव को(Maha Shivratri 2022)
हिमालय की पुत्री पार्वती शिव से अगाध प्रेम करती हैं, लेकिन शिव को पाना सरल नहीं। शिवत्व की कामना सभी को है, किंतु पाना बहुत कठिन। शिव आदि, अनंत, अनामय परमेश्वर हैं और पार्वती भक्त का सर्वोच्च सोपान। महादेव को पाने के लिए पार्वती हठ करती हैं। कठोर तप करती हैं। इस समर्पण और प्रेम से उद्वेलित हो शिव पार्वती के सामने प्रकट हो उनके प्रेम को स्वीकारते हैं। शिव तप का मान रखते हैं, प्रेम का प्रतिदान देते हैं। माता पार्वती सारे अवरोध पार कर कठिन तपस्या द्वारा महादेव को वर के रूप में प्राप्त करती हैं।
HELPLINE NUMBERS FOR PEOPLE STUCK IN UKRAINE: कानपुर के लोगों के लिए बनाया गया कंट्रोल रूम, 24 घंटे रहेगा सक्रिय UTTAR PRADESH ASSEMBLY ELECTIONS 2022: भाजपा-बसपा समर्थकों में घमासान, थानेदार और सिपाही घायल BANK HOLIDAYS: 13 दिन बंद रहेंगे बैंक, चेक करें लिस्ट
शिव-शक्ति का साकार है शिवरात्रि(Maha Shivratri 2022)
सांसारिक व्यापार से उदासीन जोगी शिव को प्रेम करने वाली पार्वती जगत जननी हैं, वे स्वयं शक्ति हैं। शक्ति और शिव के मिलन से इस सृष्टि का सृजन हुआ है। शिव और शक्ति का एकाकार होना ही शिवरात्रि है। पार्वती और शिव आदर्श दंपति हैं। वे ही उमा हैं, सती हैं, दुर्गा हैं अन्नपूर्णा हैं। पुराणों में पार्वती शिव के रोचक संवाद के अनेक विवरण मिलते हैं। भारतीय साहित्य शिव-पार्वती के संवाद से भरा-पूरा है। पार्वती जिज्ञासा का दूसरा नाम हैं और शिव समाधानकर्ता है।
KANPUR STAMP PAPER NEWS: 2200 करोड़ का स्टांप पेपर डंप MAHASHIVRATRI 2022: नंदी बैल कैसे बने भगवान शिव की सवारी, जाने यहां MAHASHIVRATRI 2022: महादेव को प्रसन्न करने के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं
श्रीरामचरितमानस में पार्वती सीधे राम के अस्तित्व पर ही प्रश्न पूछ उठती हैं तो शिव उन्हें ब्रह्म तत्व समझाते हैं। शिव भोले शंकर हैं। गण समूहों के मित्र हैं। अपने गणों के साथ स्वयं भी नृत्य करते हैं। उनके पुत्र गणेश शुभत्व के प्रतीक हैं। यदि शिव गूढ़ रहस्य हैं तो गणेश इस नश्वर संसार में हर क्रिया को निष्पादित करने के प्रथम ओंकार हैं। भारत की मूल चेतना ने शिव के इसी लोकतांत्रिक स्वरूप को अंतर्मन में स्वीकारते हुए उनकी उपासना की। शिव किसी का तिरस्कार नहीं करते वह सभी को स्वीकारते हैं। शिव के अंतर्मन की यही उदारता वसुधैव कुटुंबकम का मूलाधार है।
#MAHASHIVRATRI : बन रहा है यह योग, जानें… KANPUR NEWS: कोरोना मृतकों में जिंदा लोगों के नाम होने पर डीएम ने दिए जांच के आदेश KANPUR DM MADE TEAMS FOR RAIDS : दुकानदारों ने 20 बढ़ाए रिफांइड तेल रेट
(Maha Shivratri 2022)