RAHUL PANDEY
KDA Said That all the Land of the City is Ours: कानपुर नगर निगम (Kanpur Municipal Corporation) और कानपुर विकास प्राधिकरण आए दिन किसी न किसी मामले में एक-दूसरे के विरोध में रहते हैं। नया मामला पनकी स्थित सरायमीता में जमीनों को लेकर सामने आया है। इसको लेकर महापौर प्रमिला पांडेय ने मीटिंग बुलाई थी। इसमें KDA के अपर सचिव गुडाकेश शर्मा को भी बुलाया गया। अपर सचिव ने बताया कि विकास प्राधिकरण के एक्ट-1973 में नगर महापालिका को जो भी अधिकार थे, वे विकास प्राधिकरण में निहित हो गए हैं। (KDA Said That all the Land of the City is Ours)
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महापालिका की जमीनें KDA में निहित (KDA Said That all the Land of the City is Ours)
मीटिंग में अपर सचिव ने जानकारी देते हुए बताया कि एक्ट के तहत खतौनी में नाम चढ़ाने की जिम्मेदारी राजस्व विभाग की होती है। विकास प्राधिकरण में इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की जमीन, विकास बोर्ड या नगर महापालिका जमीन जहां भी हैं, वह केडीए में निहित हैं।
महापौर ने कहा कि सभी संपत्तियां केडीए में निहित हो गई, तो नगर निगम भी आपका हो गया। उन्होंने अपर सचिव से गुस्से में कहा कि आप गुमराह करने का काम कर रहे हैं। नगर आयुक्त ने भी अपर सचिव को हाइकोर्ट के आदेशों का हवाला देकर चुप करा दिया।
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जमीनों के क्षेत्रफल का उल्लेख नहीं है (KDA Said That all the Land of the City is Ours)
सरायमीता को जमीनों को लेकर महापौर का जानकारी दी गई कि जमींदारी अधिनियम की धारा 117 के खंड-1 से 6 की जमीन नगर महापालिका के नाम दर्ज है, वो कानपुर विकास प्राधिकरण में निहित हैं। उक्त शासनादेश में 85 गांवों की जमीनों का उल्लेख है, किंतु जमीनों के क्षेत्रफल का उल्लेख नहीं है।
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सरकार की बदनामी करा रहे अधिकारी (KDA Said That all the Land of the City is Ours)
महापौर ने कहा कि सरायमीता में सभी जमीनें केडीए की हैं, तो धड़ल्ले से अवैध निर्माण हो गए, उन्हें खाली क्यों नहीं कराया गया। लगभग 100 महिलाएं उनके पास आई थीं। सब दलित थीं। उन्होंने मेहनत मजदूरी करके अपना जीविका से थोड़ा बहुत बचाकर सरायमीता में जमीन लेकर मकान बनाया है, यदि उन्हें हटाया जाता है, तो केडीए के कारण सरकार की बदनामी होगी।
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