RAHUL PANDEY
High Court Said: इलाहाबाद हाईकोर्ट कहा कि जहां एक समान परिस्थिति वाले वयस्क अपराधी को पहले ही जमानत पर रिहा कर दिया गया है, उसी मामले में किशोर को जमानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने वाराणसी के किशोर की जमानत अर्जी को मंजूर करते हुए दिया है। (High Court Said)
कोर्ट ने कहा कि एक बार वयस्क सह आरोपी को जमानत दी गयी है तो किशोर न्याय अधिनियम की धारा 12 की उपधारा (1) के तहत प्रावधान की आवश्यकताओं के संदर्भ में किशोर के मामले का अतिरिक्त परीक्षण करने का कोई औचित्य नहीं है।
वाराणसी जिले का है मामला (High Court Said)
वाराणसी जिले के लोहता थाने में किशोर सहित अन्य आरोपियों केखिलाफ आईपीसी की धारा 147, 149, 302, 307, 323, 324, 354 और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसमें दो लोग घायल हो गए थे, जिसमें से एक की मौत हो गई थी। निचली अदालत ने किशोर को इस आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया था कि उसकी रिहाई से न्याय का अंत हो जाएगा।
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हाईकोर्ट विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अधिनियम (High Court Said)
हाईकोर्ट (High Court) विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अधिनियम वाराणसी द्वारा पारित निर्णय और आदेश के खिलाफ किशोर द्वारा दायर गए एक संशोधन पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसकी आपराधिक अपील को खारिज कर दिया गया था और किशोर न्याय बोर्ड वाराणसी के उसे जमानत देने से इनकार करने के आदेश की पुष्टि की गई थी। घटना की तारीख पर याची 17 वर्ष 3 महीने और 19 दिन की आयु का था और वह 15 अगस्त 2020 से जेल में है। वह अधिकतम अवधि में से सजा की पर्याप्त अवधि पूरी कर चुका है।
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