Higher Judicial Service Exam 2020: इलाहाबाद हाईकोर्ट (High Court) ने उच्च न्यायिक सेवा परीक्षा-2020 में ईडब्ल्यूएस के अंतर्गत 10 फीसदी आरक्षण की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा की यूपी हाईकोर्ट सेवा परीक्षाए 2020 का विज्ञापन जारी हो चुका है। इस कारण बीच में 10 फीसदी कोटे के अंतर्गत आरक्षण की मांग स्वीकार योग्य नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ. कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति अजय त्यागी की खंडपीठ ने अधिवक्ता संदीप मित्तल की याचिका को खारिज करते हुए दिया। (Higher Judicial Service Exam 2020)
योग्यता का निर्धारण करने का अधिकार (Higher Judicial Service Exam 2020)
कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट प्रशासन न्यायिक सेवा के क्षेत्र में उसकी अपनी एक स्वायत्तता है। उसे योग्यता का निर्धारण करने का अधिकार है और आरक्षण आदि को लेकर वह निर्णय लेने को स्वतंत्र है।
आरक्षण का प्रावधान नहीं दिया (Higher Judicial Service Exam 2020)
कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को न्यायिक सेवा के क्षेत्र में आरक्षण को लेकर कानून योजना बनाने का कोई अधिकार नहीं है। उच्च न्यायिक सेवा परीक्षा में योग्यता और आरक्षण आदि को लेकर हाईकोर्ट ने सत्र 2020 के लिए इस परीक्षा में ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं दिया है। इस कारण कोर्ट हाईकोर्ट प्रशासन को इस बारे में कोई निर्देश जारी नहीं कर सकता।
MEAT SHOP AND NON VEG HOTEL CLOSED FOR 9 DAYS: पहली बार ऐसा लिखित आदेश जारी हुआ
अधिवक्ता ने उच्च न्यायिक सेवा की वैधता को दी थी चुनौती (Higher Judicial Service Exam 2020)
याची अधिवक्ता संदीप मित्तल ने याचिका में उच्च न्यायिक सेवा परीक्षा 2020 की वैधता को चुनौती दी थी। याची ने 18 फरवरी 2021 को इस परीक्षा के लिए आवेदन किया था। प्रत्यावेदन देकर बतौर ईडब्ल्यूएस सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी के रूप में लाभ लेने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने जब उनके प्रत्यावेदन पर कोई विचार नहीं किया तो उन्होंने याचिका दायर की।
उन्होंने कोर्ट से मांग की थी कि उन्हें ईडब्ल्यूएस को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण का लाभ देते हुए इस परीक्षा में बैठने की इजाजत दी जाए। इसके लिए भारतीय संविधान में हुए 103वें संशोधन का हवाला भी दिया गया।
संशोधन में ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थियों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई है। यूपी सरकार ने भी इस बारे में जरूरी संशोधन कर ऐसे अभ्यर्थियों को 10 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया है। कोर्ट ने याची की मांग स्वीकार करने से इंकार कर दिया। मगर कहा कि हाईकोर्ट ने अभी तक इस नियम को स्वीकार नहीं किया है। उससे अनुरोध है कि वह आगे इस प्रावधान को स्वीकार करें।
CHAITRA AMAVASYA 2022: चैत्र अमावस्या पर बन रहे हैं खास योग, जानिए
CHAITRA NAVRATRI 2022: मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को लगाएं ये भोग