Chaitra Navratri 2022: नवरात्र (Navratri) में अष्टमी-नवमी का विशेष महत्व होता है। अष्टमी के दिन महागौरी और नवमी के दिन सिद्धिदात्री मां का पूजन किया जाता है। इस वर्ष नवरात्र (Navratri) में अष्टमी तिथि आठ अप्रैल रात 11:05 बजे से शुरू होकर नौ अप्रैल को देर रात 01 :23 बजे तक है, इसलिए अष्टमी का हवन और कन्या पूजन नौ अप्रैल को और नवमी तिथि 10 अप्रैल रात 1:23 से प्रारंभ होकर 11 अप्रैल भोर 3:15 बजे तक है। (Chaitra Navratri 2022)
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नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजा जाता है
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, नवमी का हवन कन्या पूजन 10 अप्रैल को करना श्रेष्ठ है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजा जाता है और उनको भोग लगाकर दक्षिणा देने से देवी मां प्रसन्न होती हैं। अष्टमी पर देवी भक्तों ने कन्या भोज भी कराया। कन्याओं का पूजन कर उन्हें प्रसाद खिलाया गया। वहीं, कई जगहों पर नवमी को कन्या भोज होगा।
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नवरात्र के शुभ अवसर पर शहर भर में मंदिरों से लेकर घरों तक माता का गुणगान है। सभी भक्त माता की आराधना में मनोयोग से लीन हैं। कई जगहों पर माता की चौकी का भी आयोजन किया गया है।
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संधि क्षण या काल कहते हैं
अष्टमी समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी प्रारंभ होने के शुरुआती 24 मिनट के समय को संधि क्षण या काल कहते हैं। संधि काल का ये समय दुर्गा पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि संधि काल में ही देवी दुर्गा ने प्रकट होकर असुर चंड और मुंड का वध किया था। इस समय माता रानी को विशेष भोग लगाने की परंपरा है। इस समय जो पूरी श्रृद्धा से जो मां का पूजन करता है उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है। संधि पूजा नौ अप्रैल रात 12 :57 से देर रात 1:47 तक रहेगी।
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