RAHUL PANDEY
KANPUR
KANPUR NEWS: कोरोना के चलते कई सरकारी कार्य अपनी समय सीमा पर पूरे नहीं हो पाए है। हैलट (Hallett) अस्पताल में भी कुछ ऐसा ही हुआ। अपने समय सीमा पूरी होने के बाद भी यहां का बर्न वार्ड अभी तक बनकर तैयार नहीं हो पाया है। सर्जरी वार्ड नंबर एक के बगल में बने पुराने बर्न वार्ड को भी कोरोना काल में बंद स्थाई रूप से बंद कर दिया गया था।(KANPUR NEWS)
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30 से 40 दिनों में पूरा
इसके चलते यहां इलाज के लिए आने वाले रोगियों को निजी अस्पतालों के भरोसे ही रहना पड़ रहा है। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि बर्न वार्ड की बिल्डिंग पूरी तरह बन कर तैयार हो चुकी है। सिर्फ फिनिशिंग और उपकरणों को इंस्टॉल करने का काम बाकी है, जो आने वाले 30 से 40 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा।
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मरीज निजी अस्पतालों के भरोसे
हैलट (Hallett) की बर्न यूनिट को बंद हुए करीब एक साल से ज्यादा हो गया है। यहां आने वाले हर मरीज को फर्स्ट एड देकर उर्सला या निजी अस्पताल जाने के लिए कह दिया जाता है। मरीज उर्सला में बने बर्न यूनिट पर भी भरोसा नहीं करते क्योंकि वहां पर आईसीयू की सुविधा नहीं है।
पिछले साल शुरू होना था
हैलट के न्यूरो साइंसेज विभाग के पास बने नए बर्न वार्ड को पिछले साल शुरू होना था, लेकिन अब तक यह तैयार नहीं हो पाई है। इस वार्ड के लिए न तो फर्नीचर है और नाही उपकरण। अभी तक यहां पर स्टाफ की तैनाती को लेकर भी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने कोई चर्चा नहीं की है।
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बर्न वार्ड 2016 में सपा सरकार ने किया था पास
साल 2016 में जब प्रदेश में सपा सरकार थी, तब अखिलेश यादव ने हैलट में बर्न वार्ड और ऑर्थो ब्लॉक बनवाने के लिए बजट जारी किया था। साथ ही आधी अधूरी तैयारियों के साथ इसका उद्घाटन भी कर दिया था। पांच साल बीत जाने के बाद भी अभी तक न तो बर्न वार्ड तैयार हो पाया है और न ही ऑर्थो ब्लॉक।
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जांच भी बैठाई गई थी
20 करोड़ रुपए की लगत से बर्न वार्ड और ऑर्थो ब्लॉक तैयार होना था। सपा सरकार ने इसके लिए बजट भी रिलीज कर दिया था, लेकिन जब यह नहीं बना तो 2017 में बनी योगी सरकार ने इस पर जांच बैठा दी। इसकी जांच के लिए बिठाए गए पीडब्लूडी अधिकारियों ने अभी तक अपनी रिपोर्ट सबमिट नहीं की है। पूरा ढांचा खड़ा हो गया और ओटी ब्लॉक से लेकर ऑक्सीजन प्लांट चार वार्ड भी बन गए।
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इसी दौरान तत्कालीन प्राचार्य डॉ. आनंद स्वरूप का तबादला हुआ, तो ब्लॉक का काम धीमा पड़ गया। सूत्रों की मानें, तो काम धीमा पड़ने को लेकर जब कार्यदायी संस्था के अधिकारियों से बात की गई, तो उन्होंने रिवाइज बजट देने का बहाना कर दिया।