RAHUL PANDEY
Mohan Bhagwat Told the Roadmap of ‘Akhand Bharat’: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने ‘अखंड भारत (Akhand Bharat) को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने बताया है कि संघ के लिए यह हमेशा से सर्वोपरि रहा है। जिस तरह से चीजें आगे बढ़ रही है उससे 20-25 साल में यह काम पूरा हो जाएगा। लेकिन सामूहिक प्रयास को गति देने पर 15 साल में भी यह पूरा हो सकता है।(Mohan Bhagwat Told the Roadmap of ‘Akhand Bharat’)
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या तो हट जाएँगे या मिट जाएँगे(Mohan Bhagwat Told the Roadmap of ‘Akhand Bharat’)
बुधवार (13 अप्रैल 2022) को हरिद्वार में आयोजित एक कार्यक्रम में भागवत ने यह बात कही। उन्होंने कहा, “जिस गति से अभी काम चल रहा है उस गति से ‘अखंड भारत’ का सपना 20 से 25 वर्षों में पूरा होगा। लेकिन अगर हम मिलकर सामूहिक प्रयास करेंगे तो यह समय कम भी किया जा सकता है। इसे रोकने की कोशिश करने वाले या तो हट जाएँगे या मिट जाएँगे।”
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यह पहला मौका नहीं है जब भागवत ने अखंड भारत पर जोर दिया है। इससे पहले फरवरी 2021 में उन्होंने कहा था,”आने वाले समय में अखंड भारत की ज़रूरत है। भारत से अलग होने वाले क्षेत्र जो वर्तमान में खुद को अलग मानते हैं, उनके लिए भारत से जुड़ना आवश्यकता है। ऐसे कई क्षेत्र जो खुद को भारत का हिस्सा नहीं मानते हैं उनमें अस्थिरता है।”
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भागवत के बयान से एक बार फिर अखंड भारत पर चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। लेकिन, क्या आपको पता है कि पाकिस्तान के अलावा कई अन्य देश भी हैं जो कभी भारत का हिस्सा हुआ करते थे? आगे हम आपको उन देशों के बारे में बता रहे हैं ताकि आप समझ सके कि अखंड भारत का सपना पूरा होने के बाद मानचित्र किस तरह का हो सकता है।
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नेपाल(Mohan Bhagwat Told the Roadmap of ‘Akhand Bharat’)
भले ही आज नेपाल के नेता अपने लोगों को खुश करने के लिए कहते हैं कि उनका देश कभी भी भारत का हिस्सा नहीं था, लेकिन लिच्छवि गणराज्य (400-750 CE) के अंतर्गत जो भी क्षेत्र आते थे, उनमें नेपाल भी शामिल था। उससे पहले वहाँ किरात वंश का शासन हुआ करता था। नेपाल में राजा जनक के महल के साथ-साथ वाल्मीकि आश्रम होना भी यह बताता है कि ये क्षेत्र कभी भारत का हिस्सा हुआ करता था।
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पाकिस्तान और बांग्लादेश(Mohan Bhagwat Told the Roadmap of ‘Akhand Bharat’)
बांग्लादेश ही सबसे ताज़ा देश है, जो कभी भारत का हिस्सा हुआ करता था। इंदिरा गाँधी के समय में भारत-पाकिस्तान में युद्ध हुआ, जिसके बाद बांग्लादेश को आज़ादी मिली। इससे पहले ये पूर्वी पाकिस्तान हुआ करता था। पाकिस्तान की फ़ौज ने यहाँ के विद्रोह को दबाने के लिए क्रूरता अपनाई। अंत में पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया, जिसके बाद बांग्लादेश आज़ाद हुआ।
ठीक इसी तरह, 1947 में भारत की स्वतंत्रता से ठीक 1 दिन पहले पाकिस्तान को भी कथित आज़ादी मिली। आज का पाकिस्तान कभी भारत का एक बड़ा हिस्सा हुआ करता था, लेकिन इस्लामी शासकों ने लाहौर जैसे शहरों को अपना अड्डा बनाया था और यहाँ मुस्लिम जनसंख्या अच्छी-खासी बढ़ गई। मोहम्मद अली जिन्ना जैसों ने इसका फायदा उठाया और कॉन्ग्रेस ने भी देश के विभाजन के लिए हामी भर दी।
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अफगानिस्तान(Mohan Bhagwat Told the Roadmap of ‘Akhand Bharat’)
वो अंग्रेज ही थे, जिन्होंने ‘ब्रिटिश इंडिया’ और अफगानिस्तान के बीच डुरंड रेखा खींच दी थी। इस फैसले पर 12 नवंबर, 1893 को ब्रिटिश अधिकारी सर मोर्टिमर डुरंड और अफगानिस्तान के अमीर अब्दुर रहमान खान ने हस्ताक्षर किए थे। इस क्षेत्र के आसपास पंजाबी और पश्तून समुदाय की अच्छी-खासी जनसंख्या थी। इस्लामी धर्मांतरण का सबसे ज्यादा प्रभाव अफगानिस्तान में हुआ था, लयोंकी अरब यहीं से भारत में घुसे थे।
अफगानिस्तान में मुस्लिम शासकों ने कंधार और काबुल जैसे शहरों का नामकरण कर के इन्हें अपना अड्डा बनाया। अगर हम महाभारत काल तक भी पीछे जाएँ तो उसमें अफगानिस्तान में स्थित गांधार साम्राज्य का जिक्र मिलता है। इसीलिए, शकुनि को ‘गांधार नरेश’ व धृतराष्ट्र की पत्नी को गांधारी कहा जाता था। 1750 तक अफगानिस्तान को भारत का हिस्सा ही माना जाता था। अफगानिस्तान पर कभी कुषाण वंश का शासन हुआ करता था और कनिष्क के काल में बौद्ध धर्म वहाँ फैला।
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श्रीलंका(Mohan Bhagwat Told the Roadmap of ‘Akhand Bharat’)
भले ही भारत और श्रीलंका को समुद्र अलग कर देता हो, लेकिन इसके बावजूद भी ये कभी भारतवर्ष का ही हिस्सा हुआ करता था। श्रीलंका का नाम पहले सीलोन या फिर सिंहलद्वीप हुआ करता था। वहीं सम्राट अशोक के समय इस क्षेत्र का नाम ताम्रपर्णी हुआ करता था। सम्राट अशोक ने अपने बेटे महेंद्र और बेटी संघमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए वहाँ भेजा था। इस तरह ‘अखंड भारत’ की परिकल्पना में श्रीलंका भी शामिल है।
सन् 933 में राजराज चोल के समय में श्रीलंका चोल साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। उनके बेटे राजेंद्र चोल के कार्यकाल में भारत की नौसेना और मजबूत हुई। उस समय सिंहला लोग पंड्या साम्राज्य के करीबी हुआ करता थे, इसीलिए उनसे चोल साम्राज्य को कई युद्ध करने पड़े। रामायण काल में श्रीलंका को लंका कहा गया है।
म्यांमार(Mohan Bhagwat Told the Roadmap of ‘Akhand Bharat’)
म्यांमार भी कभी भारत का हिस्सा हुआ करता था। इसका नाम पहले बर्मा था। भारत के स्वतंत्र होने से मात्र 10 वर्ष पहले, 1937 में अंग्रेजों ने इसे भारत से काट कर अलग कर दिया। 1921 में बर्मा की राजनीतिक स्थिति के अध्ययन के लिए साइमन कमीशन को वहाँ भेजा गया था। 1930 में साइमन कमीशन ने इसे भारत से काट कर अलग करने की सिफारिश की। उस समय बर्मा दो गुटों में बँट गया था, जिसमें एक हिस्सा भारत के साथ रहना चाहता था।
भूटान(Mohan Bhagwat Told the Roadmap of ‘Akhand Bharat’)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का एक वीडियो वायरल होने के बाद उनकी खूब खिल्ली उड़ाई गई थी, जिसमें उन्होंने भूटान को भारत का हिस्सा बता दिया था। प्राचीन काल में पूरे के पूरे हिमालय को भारत का ही हिस्सा माना जाता था। लेकिन, अगर मौर्य काल में उन्होंने ये बात कही होती तो उन पर कोई नहीं हँसता, क्योंकि तब भूटान भारत का ही हिस्सा हुआ करता था। यहाँ भी साम्राज्य अशोक के समय बौद्ध धर्म फैला। आज भी भारत व भूटान के रिश्ते काफी मधुर हैं और भारत अपने इस छोटे से पड़ोसी देश के रक्षक के रूप में काम करता है।
ग्रेटर इंडिया(Mohan Bhagwat Told the Roadmap of ‘Akhand Bharat’)
अगर हम ‘अखंड भारत’ की परिकल्पना करते हैं तो मलेशिया और थाईलैंड भी इसमें आएँगे ही आएँगे, क्योंकि इन दोनों जगह कभी भारत से प्रभावित साम्राज्यों का राज हुआ करता था। श्रीविजय, केदारम और मजापाहित जैसे साम्राज्य एक तरह से भारतीय ही थे। चोल साम्राज्य के बारे में भी कहा जाता है कि उसने मलेशिया में विजय हासिल की थी। बाद में पुर्तगालियों ने यहाँ कब्ज़ा जमाया, जैसा उन्होंने गोवा और दमन एवं दीव में किया था।
अखंड भारत का एक तिहाई भी नहीं है(Mohan Bhagwat Told the Roadmap of ‘Akhand Bharat’)
इंडोनेशिया में भी भारत के प्रभावित ऐसे ही साम्राज्य थे। तभी जावा में आज भी आपको इसकी झलक मिल जाती है। जैसे, उदाहरण के लिए कलिंग्गा साम्राज्य को ले लीजिए, जो बौद्ध धर्म से प्रभावित था। इसी तरह कादिरी साम्राज्य ने भी इंडोनेशिया पर राज किया। जावा में सुंडा साम्राज्य भी था, जिसकी संस्कृति भारतीय ही थी। इस तरह आज जो भारत हम देश रहे हैं, वो अखंड भारत का एक तिहाई भी नहीं है। हमारा अस्तित्व व हमारी पहचान इससे काफी बड़ी है।