ARTI PANDEY
नोएडा: मीडिया में जेंडर समानता का सवाल अंतरराष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन, ICAN 5 में दूसरे पैनल चर्चा का मुख्य केंद्र रहा। इस पैनल चर्चा में प्रख्यात महिला शिक्षाविदों ने इसके मिथकों को वास्तविकताओं से अलग किया। पैनल चर्चा का विषय ‘अचीविंग जेंडर बैलेंस इन मीडिया टुडे: मिथ या रियलिटी?’ था और इस चर्चा का संचालन मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज, फरीदाबाद की डीन डॉ मैथिली गंजू ने किया। उन्होंने मीडिया में जेंडर डिस्कोर्स की सीमाओं को परिभाषित करके आधार निर्धारित किया और कहा, “यह समय इस शब्द पर व्यापक संदर्भ में चर्चा कर हर प्रकार के जेंडर को दायरे में शामिल करने का है।”
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डॉ अम्बरीष सक्सेना, प्रोफेसर और डीन, डीएमई मीडिया स्कूल और संयोजक, ICAN 5 ने कहा कि जेंडर बैलेंस को प्राप्त करने में हम कितने सफल हुए हैं, यह जानने के लिए जेंडर इन्क्लूज़न का बार-बार मूल्यांकन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह पैनल चर्चा इसी खास उद्देश्य से संचालित की गयी है।”
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पैनलिस्ट डॉ गीता बामेज़ई, प्रोफेसर और पूर्व डीन, एकेडेमिक अफेयर्स और हेड, कम्युनिकेशन रिसर्च डिपार्टमेंट, आईआईएमसी ने कहा, “हालांकि हम आईसीटी क्षेत्र में तेज़ प्रगति को देख कर खुश होते हैं, लेकिन मीडिया इंडस्ट्री में जेंडर बैलेंस की गति बेहद शिथिल है।”
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भारत में एडवरटाइजिंग क्षेत्र में विभिन्न जेंडर के अनुपातहीन प्रतिनिधित्व के बारे में बात करते हुए, डॉ कुलवीन त्रेहन, पीएचडी प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर और फैकल्टी, यूएसएमसी, जीजीएसआईपीयू ने कहा, “हम अभी भी महिलाओं को रूढ़िवादी भूमिकाओं में देखते हैं और LGBTQ समुदाय के लोगों की चर्चा केवल प्राइड डे जैसे विशेष अवसरों के दौरान ही हो पाती हैं।” उन्होंने हाल के अध्ययनों का भी हवाला दिया, जिसमे लोगों के खरीद व्यवहार को प्रगतिशील विज्ञापनों के साथ सम्बद्ध करके अध्ययन किया गया है। वे इस तरह के चलन को भविष्य के लिए बेहद सकारात्मक मानती हैं।
डॉ पद्मा रानी, प्रोफेसर और निदेशक, मणिपाल संचार संस्थान, मणिपाल ने प्रिंट मीडिया में जेंडर बैलेंस के बारे में अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, “महिला पत्रकारों को कार्यस्थल और फील्ड में उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। इस कारण मीडिया पेशे का आकर्षण कम हो गया है। महामारी के बाद से स्थिति और भी ज्यादा खराब हुई है।”
ICAN 5 के पांचवे तकनीकी सत्र का आयोजन ‘इफेक्ट्स ऑफ़ सोशल मीडिया ऑन यूथ, इमेज बिल्डिंग एंड इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग’ विषय पर निर्धारित था। कराची के आईएलएमए विश्वविद्यालय के मीडिया और डिजाइन संकाय की डीन डॉ यास्मीन सुल्ताना फारूकी इस सत्र के अध्यक्ष के रूप में पाकिस्तान से शामिल हुईं।
डीएमई मीडिया स्कूल की सहायक प्रोफेसर डॉ सुमेधा धस्माना को उनके पेपर ‘ट्विटर एज ए पब्लिक रिलेशंस टूल: एन एनालिसिस ऑफ ट्वीट्स ऑफ टॉप कंपनीज ऑफ इंडिया’ के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतकर्ता घोषित किया गया।
सम्मेलन का छठा तकनीकी सत्र ‘मीडिया कन्वर्जेन्स एंड कंटेम्पररी हेल्थ एंड सोशिओ-पोलिटिकल इश्यूज’ विषय पर आधारित था। । के आर मंगलम विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन की पूर्व डीन और प्रोफेसर डॉ किरण बाला ने सत्र की अध्यक्षता की। डॉ. अम्बरीष सक्सेना ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि, “प्रथम वर्ष के स्नातक छात्रों का पेपर प्रस्तुत करना गर्व की बात है। सत्र की समापन टिपण्णी में प्रो (डॉ) सुस्मिता बाला, हेड, डीएमई मीडिया स्कूल, ने प्रथम वर्ष के शोधकर्ताओं का मनोबल बढ़ाते हुए उन्हें ऐसे प्रयास निरंतर करने की सलाह दी।
(JAIHINDTIMES is the media partner of the conference)
जय हिंद टाइम्स (JAIHINDTIMES) सम्मेलन के मीडिया पार्टनर हैं।