Anurag Dwivedi
कानपुर (Kanpur) की तेज तर्रार कमिश्नरेट पुलिस कोतवाली में दी गई एक तहरीर पर अब तक जांच पूरी नहीं कर पा रही है। करीब दस दिन से अधिक बीत जाने के बाद भी अफसर गोलमोल जवाब दे रहे हैं। दरअसल मामला माननीय मंत्री राकेश सचान (Rakesh Sachan) का है। (Minister Rakesh Sachan Case)
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आर्म्स एक्ट के मामले में 6 अगस्त को ACMM- 3 कोर्ट में भाजपा के कैबिनेट मंत्री राकेश सचान (Rakesh Sachan ) की सुनवाई थी। कोर्ट ने दोषी करार दिया तो सजा सुनाने से पहले कैबिनेट मंत्री पर आरोप है कि आदेश की फाइल लेकर कोर्ट से भाग निकले थे। मामला तूल पकडा, कोर्ट की ओर से कोतवाली में राकेश सचान के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए तहरीर दी गई। पूरे मामले की जांच एसीपी को सौंपी गई। आलाधिकारियों ने बताया कि जांच के बाद ही मुकदमा दर्ज किया जाएगा। लेकिन अब तक जांच पूरी नहीं हो सकी है। वहीं जानकारों का कहना है कि अगर कैबिनेट मिनिस्टर राकेश सचान के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई तो उनका मंत्री पद जाना तय है। क्यों कि क्या पुलिस एक मंत्री को अरेस्ट करके जेल भेजेगी। इस हालात में उनका मंत्री पद सरकार से खत्म किया जाएगा। इसके बाद पुलिस ने उन्हें जेल भेजेगी।
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आर्म्स एक्ट के मामले में अगर भाजपा के कैबिनेट मंत्री राकेश सचान के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई तो उन्हें जेल जाना पड़ सकता है। क्यों कि कोर्ट से भागने का मामला गैरजमानतीय धाराओं का अपराध है। उनके मंत्री पद पर भी खतरा बढ़ गया है। कोर्ट का आदेश वायरल होने के बाद पुलिस अफसरों ने मंथन शुरू कर दिया है। वहीं, मंत्री का विरोधी खेमा कानपुर से लेकर हाईकोर्ट तक कार्रवाई कराने के लिए पैरवी में लगा है।
8 अगस्त को कोर्ट में सरेंडर
मंत्री ने भले ही 8 अगस्त को कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। लेकिन अब कोर्ट का मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का आदेश सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। इससे एक बार फिर कानपुर पुलिस कमिश्नरेट की कार्यशैली पर सवाल खड़ा हो गया है। अगर कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया तो मामले में पुलिस ने अब तक एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की है। राकेश सचान का केस देख रहे अधिवक्ता के पैनल में शामिल एक सीनियर वकील ने नाम न छापने की शर्त पर अपनी राय दी।
वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है कि कोर्ट से सजा के दस्तावेज लेकर भागने के मामला गैर जमानतीय धाराओं का अपराध है। अगर इस मामले में राकेश सचान के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई तो उनका जेल जाना तय है। भले ही उन्हें महज चंद घंटे के लिए क्यों न जाना पड़े।
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