ARTI PANDEY
कानपुर : अश्लील वीडियो मामले में हंगामा करने वाली महिला अधिवक्ताओं के खिलाफ बार एसोसिएशन (Bar Association) ने बड़ा कदम उठाया है। संस्था की कार्यकारिणी सदस्य समेत नौ वकीलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। संस्था ने सभी की प्राथमिक सदस्यता समाप्त कर दी है। सभी को जवाब देने के लिए तीन दिन का समय दिया गया है। उपयुक्त जवाब न मिलने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के साथ यूपी बार काउंसिल को पत्र भेजकर पंजीकरण निरस्त कराया जाएगा।
बार एसोसिएशन (Bar Association) में तीन नवंबर को महिला अधिवक्ताओं ने अश्लील वीडियो मामले में जमकर हंगामा किया था। इस हंगामे के दौरान संस्था में कार्यरत कर्मचारियों को कालर पकड़कर बाहर कर दिया गया। लाइब्रेरी में किताबे पढ़ रहे वरिष्ठ अधिवक्ताओं से किताबे छीनकर उन्हें बाहर कर दिया गया। वकालतनामा बेचने से प्राप्त हुई धनराशि भी कैश काउंटर से गायब हो गई थी। वकीलों ने कार्यालय में निजी ताला भी डाल दिया जिसके बाद शाम पांच बजे तक ताला लगा रहा। इसी हंगामे को लेकर शनिवार को बार एसोसिएशन कार्यकारिणी की आपात बैठक बुलायी गई थी। जिसमें हंगामा करने वाली महिला अधिवक्ता बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी सदस्य अंजू सिंह, दीपा जायसवाल, अनीता पांडे, प्राची श्रीवास्तव, राजरानी शर्मा, सोनल पाठक, सुषमा कांजीलाल, मनीष कुरील और भगवत दास पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश चंद्र त्रिपाठी और महामंत्री अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि कार्यकारिणी ने इसे अनुशासनहीनता माना है। उपद्रव में शामिल सभी अधिवक्ताओं को नोटिस जारी किया गया है। बार एसोसिएशन (Bar Association) की प्राथमिक सदस्यता भी निलंबित कर दी गई है।
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