ARTI PANDEY
KANPUR
गौशालाओं में मर रहे जानवारों की शिकायतों पर निरीक्षण को आए नोडल अधिकारी ने वही देखा जिसे अफसर दिखाने चाहते थे। नोडल अधिकारी विशेष सचिव, विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी प्रकाश बिन्दु कानपुर पहुंचे। प्रकाश बिन्दु सोमवार को पनकी स्थित अस्थाई गौशाला का निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने 6 गौ आश्रयस्थलों का निरीक्षण किया और उन्हें सब ठीक मिला। हालांकि निरीक्षण से पहले ही यहां व्यवस्था दुरुस्त करा ली गई थीं। क्योंकि उनके आने की पहले ही सूचना थी। साथ वो किस-किस गो आश्रय जाएंगे वो भी तय कर लिए गए थे। एक गौ आश्रय स्थल में 10 मिनट से ज्यादा नहीं रुके। जब कि सरसौल, बिधनू और नगर निगम की एक गो आश्रय स्थल का निरीक्षण 18 जनवरी तक पूरा करना था। देर शाम तक निरीक्षण पूरा कर लिया। सीवीओ आरपी मिश्रा ने बताया कि 18 जनवरी तक आश्रय स्थलों का निरीक्षण करेंगे। इसके बाद एक समीक्षा बैठक करेंगे। फाइनल रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।
गोशाला में 2000 मवेशी मिले
सचिव ने मवेशियों के चारे-पानी की व्यवस्था देखी। गोशाला में 2000 मवेशी मिले। नांद में गोवंश भूसा खा रहे थे। मवेशियों को ठंड से बचाने के लिए तिरपाल लगा था। चारों तरफ साफ-सफाई दिखी। करीब 10 मिनट में पूरी व्यवस्थाओं को देखकर वहां से चले गए। उन्होनें सिर्फ मवेशियों की व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने के निर्देश दिए। निरीक्षण के दौरान सीडीओ सुधीर कुमार, सीवीओ आरपी मिश्रा और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
सूखा पुआल खाते देख चले गए साहब
विशेष सचिव पनकी गो आश्रय स्थल का निरीक्षण करने के बाद सरसौल ब्लाक स्थित बृदह गो आश्रय स्थल व महाराजपुर के अस्थायी गोआश्रय स्थल पहुंचे थे। करीब 20 मिनट में ही दोनों स्थलों की हकीकत देख ली। सूत्रों की माने तो केंद्र में फैली गंदगी, बीमार गोवंश व सूखे पुआल का भूषा उन्हें दिखा ही नहीं। सरसौल गोआश्रय स्थल पहुंचते ही उन्होंने जानवरों की संख्या पूछी। जिस पर बताया क्षमता 450 मवेशियों की है लेकिन 492 मवेशी हैं। इसके बाद टिनसेड के किनारे- किनारे घूमें और लौट आए।
जिससे साहब को सब अच्छा दिखे
नांद में सूखा पुआल खा रहे एक गोवंश को गुड़ खिलाकर फोटो खिंचवाई। इसके बाद रजिस्टर में मृत मवेशियों की मौत का कारण पूछने के बाद वहां से महाराजपुर आश्रय स्थल पहुंच गए। जहां चूनी, चोकर, भूषा मौजूद मिला। नांद में पड़ा भूषा गोवंश खा रहे थे। दो बीमार गोवंश ‘साहब’ की नजरों से बचाने के लिये गो आश्रय स्थल के पीछे लगभग पचास मीटर दूर रखे गये थे। जिससे साहब को सब अच्छा दिखे।
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