RAHUL PANDEY
सरकारी जमीनों पर कब्जा करने वालों पर प्रशासन ने नकेल कसना शुरू कर दिया है। एसडीएम सदर कोर्ट ने 72 साल पुरानी 400 बीघा जमीन को फिर से सरकारी भूमि में दर्ज किए जाने का आदेश जारी किया है। मामला सचेंडी के तीन गांव का है, जहां 72 साल पहले सरकारी अभिलेखों में कूटरचना कर जमीनों को सोसाइटी के नाम दर्ज किया गया था। एसडीएम सदर अभिनव गोपाल ने तीनों मामलों में आई जांच रिपोर्ट के आधार पर पूर्व में दाखिल प्रविष्टियों को खारिज करते हुए जमीन सरकार के पक्ष में दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
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सचेंडी के बिनौर, सोना और भैरमपुर गांव में 400 बीघा से ज्यादा जमीन को कूटरचना कर गुरुनानक कोआपरेटिव सोसाइटी (Guru Nanak Cooperative Society) भैरमपुर के नाम संक्रमणीय भूमिधर के रूप में दर्ज थी। शिकायत पर जांच हुई तो पता चला कि सन् 1959 फसली में उक्त सोसाइटी के नाम दर्ज समस्त आजाजियां मोहाल रामचंद्र राव व मोहाल गंगाप्रसाद में ऊसर व बंजर श्रेणी में दर्ज थी। ऊसर के खाते के सम्मुख कुछ आराजियों के सामने लाल स्याही से नारायन सिंह साहब मुकदमा नंबर 679 सरदार गुरुदेव सिंह आदि बनाम सोना का नाम दर्ज था। इस पर किसी भी अमलदरामद कर्ता के हस्ताक्षर और दिनांक दर्ज नहीं थी।
मुकदमा नंबर से जुड़ी पत्रावली भी राजस्व विभाग में नहीं मिली। गुरुनातक सोसाइटी लिमिटेड भैरमपुर के नाम पर सचेंडी के बिनौर गांव में 35 हेक्टेयर, सोना गांव में 33 हेक्टेयर और भैरमपुर गांव में 32 हेक्टेयर जमीन इसी तरह कूटरचना के आधार पर दर्ज करायी गई थी। तीनों गांवों में सोसाइटी के नाम जमीन को लेकर हुए अस्पष्ट और संदेहास्पद आदेश के आधार पर जमीनों को सरकारी खाते में दर्ज करने की संस्तुति की गई थी। इस पर एसडीएम कोर्ट ने सोसाइटी को नोटिस दिया। सोसाइटी की ओर से इस पर जवाब लगाने के लिए समय मांगा गया। इसके साथ ही जांच रिपोर्ट में शामिल अभिलेख की प्रतियां मांगी गईं। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अभिनव गोपाल ने तीनों मामलों में आई जांच रिपोर्ट के आधार पर पूर्व में दाखिल प्रविष्टियों को खारिज करते हुए जमीन सरकार के पक्ष में दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
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