RAHUL PANDEY
कल्याणपुर के इंद्रानगर स्थित राजकीय उन्नय बस्ती है। यहां समाज कल्याण विभाग की 169 एकड जमीन पर कब्जा है। इसकी शिकायत शासन से की गई, जिसकी जांच के निर्देश देते हुए आलाधिकारियों की कमेटी बनायी गई थी। लेकिन समाज कल्याण विभाग (social welfare department) की लापरवाही के चलते दो महीने बाद भी जांच शुरू तक नहीं हो सकी है। प्रशासन के अफसर समाज कल्याण विभाग पर आरोप लगा रहे है कि अब तक जस्तावेज मुहैया नहीं कराए गए, जिसके चलते जांच रूकी है। एडीएम वित्त राजेश कुमार ने बताया कि समाज कल्याण से जमीन के सभी अभिलेख मांगे गए हैं। अभिलेख इकट्ठा किए जा रहे हैं, जल्द ही सत्यापन कर खाली भूमि चिह्नित की जाएगी।
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कल्याणपुर के इंद्रानगर स्थित राजकीय उन्नय बस्ती (CTS) की भूमि का सर्वे करने दो माह बाद भी जिला प्रशासन की टीम नहीं गई। वहां बेची जा चोरी छिपे जमीन का कोई दस्तावेज भी नहीं इकट्ठा कर पाई है। समाज कल्याण विभाग की कल्याणपुर क्षेत्र में 169 एकड़ भूमि है। 42 साल पहले उन्नयन बस्ती के 127 परिवारों को एक एक एकड़ भूमि खेती के लिए दो साल के लिए दी गई थी। इसके बाद उनसे वापस नहीं ली गई। कोई निगरानी तंत्र भी नहीं बनाया गया। धीरे-धीरे लोगों ने उस जमीन को मनमाने तरीके बेचना शुरू कर दिया।
टीम बस्ती गई और खानापूर्ति कर लौट आई
दिसंबर माह में लोगों ने शासन से शिकायत की थी। शासन ने डीएम से रिपोर्ट मांगी थी। डीएम, एडीएम एफआर, एसडीएम सदर और समाज कल्याण अधिकारी की कमेटी बनाकर सर्वे करने के निर्देश दिए थे। टीम एक बार बस्ती गई और खानापूर्ति कर लौट आई। इसके बाद दोबारा टीम न तो सर्वे करने गई और न ही जमीन की कोई नापजोख कराई है। इससे लगातार जमीन पर अवैध कब्जे जारी हैं।
पहले में भी बनी थी जांच कमेटी
राजकीय उन्नयन बस्ती के 127 परिवारों को 40 साल पहले जब एक- एक एकड़ भूमि खेती के लिए दी गई थी तब कहा गया था कि भूखंडों का वे कोई अन्य उपयोग नहीं करेंगे। भूमि उन्हेंं दो साल के लिए दी गई थी, लेकिन बाद में यह भूमि उनसे वापस नहीं ली गई। सीटीएस बस्ती के जो समाज कल्याण विभाग के प्रभारी नियुक्त हुए उन्होंने भी कोई ध्यान नहीं दिया। जब कभी शिकायत हुई तो उन्होंने मुकदमे दर्ज करा दिए पर मकान गिरवाने की जहमत नहीं उठाई। इस मामले में तब शासन ने कानपुर की उप निदेशक महिमा मिश्रा, मुख्यालय पर तैनात सीनियर आडिटर कपिल देव और उप निदेशक पीके त्रिपाठी को जांच अधिकारी बनाया , लेकिन जांच शुरू नहीं हो सकी।
विभाग के पास सही अभिलेख नहीं
सबसे बड़ी बात है कि समाज कल्याण विभाग के पास इस जमीन से जुड़े पूरे अभिलेख नहीं हैं। तहसील में भी इस जमीन का कोई लेखाजोखा नहीं हैं। जब टीम सत्यापन करेगी तभी बची हुई जमीन राजस्व के अभिलेखों में दर्ज हो सकेगी।
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