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कानूनों में विरोधाभास के चलते चीफ जस्टिस को भेजा गया था केस
चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कहा लिखिलत दस्तावेजों के अभाव में भी प्रोपर्टी वापिस ली जा सकती है
jaihindtimes chandigarh
सीनियर सिटीजन द्वारा अपनी प्रोपर्टी किसी के नाम करने के बाद यदि वह व्यक्ति उसकी देखभाल नहींं करता है तो सीनियर सिटीजन उससे प्रोपर्टी वापिस ले सकता है भले ही प्रोपर्टी ट्रांसफर दस्तावेजों में लिखित में यह एग्रीमेंट न किया गया हो। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एसजे वजीफदार पर आधारित खंडपीठ ने यह फैसला वीरवार को सुनाया है और आदेशों की प्रति शुक्रवार को जारी हुई है।
मामला होशियारपुर निवासी रक्षा देवी की याचिका से जुड़ा हुआ है। रक्षा देवी ने होशियारपुर के डीएम के 24 दिसंबर 2015 के आदेशों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसके तहत डीएम ने याची के नाम की गई दो सेल डीड को कैंसिल कर दिया था।
डीएम के समक्ष याची की मां अमरो देवी ने याचिका दाखिल करते हुए कहा था कि रक्षा देवी उसकी बेटी है और उसने वायदा किया था कि यदि प्रोपर्टी उसके नाम की जाएगी तो वह उनका पूरा ख्याल रखेगी और बीमारी की स्थिति में इलाज करवाएगी। ऐसा नहीं किया गया और ऐसे में अमरो देवी ने डीएम से 28 जुलाई 2008 को 3 कनाल 13 मरला जमीन तथा 6 सितंबर 2012 को 13 कनाल 5 मरला जमीन वापिस दिए जाने की अपील की। मैंटेनेंस ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत डीएम ने अमरो देवी के हक में फैसला सुनाते हुए मां की पूरी प्रोपर्टी वापिस मां को दे दी।
प्रोपर्टी वापिस देनी होगी
- याची ने कहा कि उसकी मां ने प्रोपर्टी देते हुए कोई ऐसा एग्रीमेंट नहीं किया था जिसमें यह शर्त हो कि यदि सीनियर सिटीजन का ध्यान नहींं रखा तो प्रोपर्टी वापिस देनी होगी।
- हाईकोर्ट ने इस मामले में पेश की गई जगमीत कौर पन्नू बनाम रणजीत कौर पन्नू मामले की जजमेंट में दी गई व्यवस्था पर भी पुनर्विचार के लिए डिवीजन बेंच को भेज दिया था।
- सिंगल बेंच ने सवाल उठाया था कि क्या ट्रांसफर ऑफ प्रोपर्टी एक्ट के तहत सीनियर सिटीजन गिफ्ट में दी गई जमीन को वापिस नहीं ले सकता जबकि डीड में कोई ऐसी कंडीशन न हो।
- चीफ जस्टिस एसजे वजीफदार पर आधारिज खंडपीठ ने यह स्पष्टï कर दिया कि भले ही मौखिक तौर पर देखभाल करने का वायदा किया गया हो और कोई कागजी सबूत ऐसे वायदे का न हो तो भी देखभाल व ईलाज न होने की स्थिति में सीनियर सिटीजन प्रोपर्टी वापिस ले सकता है।
- जजमेंट में कहा गया कि जो भी स्पेशल एक्ट होता है वह सामान्य एक्ट पर भारी होता है। मेंटेनेंस ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट सोशल वेल्फेयर एक्ट है जो ट्रांसफर ऑफ प्रोपर्टी एक्ट जो सामान्य एक्ट है उससे ज्यादा प्रभाव रखता है।
- साथ ही कोर्ट ने कहा कि सीनियर सिटीजन के हितों का ध्यान रहते हुए ही एक्ट बनाया गया था और इसका मूल इस बारे में स्पष्टï करता है कि एक्ट का प्रयोग उनके हित के लिए उनके पक्ष में हो न की विपक्ष में। हाईकोर्ट ने कानून पर स्थिति स्पष्ट करने के बाद केस का निपटारा करने के लिए इसे संबंधित बेंच को भेज दिया है।
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