ARTI PANDEY
KANPUR
ऑपरेशन कावेरी (Operation Kaveri) के तहत सूडान से बचा कर लाए गए 27 भारतीय कानपुर (kanpur) पहुंचे। डीएम नोएडा की कॉल पर अफसरों ने उन्हें सचेंडी के ढाबे में ठहराया भोजन और विश्राम के बाद उन्हें रवाना किया गया। इनमें कानपुर, फतेहपुर, रायबरेली, उन्नाव, प्रयागराज आजमगढ़ और बलिया के लोग थे। इन 27 लोगों को लेकर बस दिल्ली एयरपोर्ट से चली थी। सुबह 9:40 बजे सभी कानपुर पहुंचे एडीएम सिटी अतुल कुमार (ADM City Atul Kumar), सहायक खाद्य आयुक्त द्वितीय विजय प्रताप सिंह ने उनके लिए व्यवस्थाएं की। रोडवेज बस चालक अशोक कुमार सभी को लेकर निकला। अशोक ने बताया कि बलिया तक के लोग बस में थे। सभी को सकुशल घर पहुंचा दिया गया। वे सभी डरे हुए थे और सभी को घर जाने की जल्दी थी। डीएम विशाख जी (DM Vishakh ji) ने बताया कि डीएम नोएडा (Noida DM) ने सूडान (sudan) से लौटे लोगों के कानपुर (kanpur) से होकर गुजरने की जानकारी दी थी। 27 लोग आए थे। उन्हें ठहराकर भोजन- विश्राम के बाद घरों को भेजा गया है।
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वतन की माटी माथे पर रगड़ी और रो पड़े
उन्नाव के गांव विजयीखेड़ा के बिंदा प्रसाद सूडान (Sudan) की राजधानी खार्तूम (Khartoum) से लौटने पर सबसे पहले वतन की माटी माथे पर रगड़ी और रो पड़े। अपनी कहानी बता सिहर उठते हैं। बताया कि ‘ मौत कान के बगल से सनसनाती हुई गुजरे तो कैसा लगता है ? यह पहली बार महसूस किया। भूख, डर और बेबसी के यह नौ दिन जिंदगी में कभी नहीं भूल पाऊंगा। सर…. छह बेटियां हैं मेरी… शायद उन्हीं के नसीब से बच कर आ गया हूं। भारत की सेना.. मोदी और योगी… बस यही हमारे प्राणों के रखवाले बन गए…। बिदा खार्तूम में भारतीय कंपनी ओमेगा स्टील के जेरनेटर आपरेटर थे। उन्होंने कहा, ‘तीन जून को बिटिया की बारात आनी है। वहां मेरी छाती पर जो रायफलें तनी थीं… वो चल जातीं तो सोनी को कौन विदा करता..।’ 15 अप्रैल की शाम फौजी वर्दी में दंगाई आ गए। दरवाजे तोड़ कर अंदर घुसे। कनपटियों पर रायफल पिस्टल की नाल गड़ा दी। मोबाइल, करेंसी, घड़ी सब छीन लिए। कपड़े तक नहीं छोड़े। मेरे पास एक लाख सूडानी पाउंड थे, बिटिया के लिए कुछ खरीदारी की थी, सब लूट लिया।
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मौत सामने नजर आने लगी
मलवा, फतेहपुर के अजय भी ओमेगा स्टील में हाइड्रा मशीन चलाते थे। उन्होंने कहा कि हमलावरों ने हमारी फैक्ट्री के बगल में बने फौजी कैंप पर इतने बम बरसाए कि मौत सामने नजर आने लगी। हमारे गेस्ट हाउस में घुसे तो कुछ नहीं छोड़ा। मेरी छाती पर एके-47 जैसी रायफल रख दी। मेरे पास 200 डॉलर और 15 हजार सूडानी पाउंड थे। सब दे दिए, मोबाइल भी छीन लिए। एक वक्त जरा सा भोजन करके सांसे बचाई।
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