Cyber Thug: कानपुर (kanpur) में एक जून से एचएसआरपी (हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट) की अनिवार्यता लागू हो रही है। इसे देखते हुए साइबर ठगों ने ऑनलाइन जाल बिछा लिया है। ठग एचएसआरपी की तरह ही दिखने वाली फर्जी नंबर प्लेट ऑनलाइन बेच रहे हैं। हालांकि इन नंबर प्लेट पर बारकोड का स्टिकर और यूनिक लेजर कोड नहीं होता है। ऐसे में जरूरी है कि ऑनलाइन एचएसआरपी खरीदने के पहले उसके असली और नकली होने की पहचान कर कर लें। KANPUR NEWS
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यातायात विभाग के अधिकारियों के अनुसार एचएसआरपी के लिए प्रदेश में चार कंपनियां स्लेक्स, सिमिट, रोजमार्टा व एफटीए को ही अधिकृत किया गया है। अधिकृत वेबसाइट पर जाकर वाहन संबंधी सभी जानकारियों भरकर व निर्धारित शुल्क का भुगतान करके एचएसआरपी के लिए आवेदन किया जाता है। वहीं, एचएसआरपी की डिलीवरी के लिए आवेदन के वक्त ही अपने आसपास के सेंटर का नाम भी अंकित करना होता है।
अधिकृत वेबसाइट पर इस रेट पर उपलब्ध
दो पहिया वाहन की एचएसआरपी 350 रुपये में व चार पहिया वाहन की एचएसआरपी 700 रुपये में बुक कराई जा सकती है।
मोबाइल पर डिलीवरी का मैसेज आने के बाद उसी सेंटर पर जाकर एचएसआरपी लगवानी होती है। इस प्रक्रिया के उलट साइबर ठगों ने एचएसआरपी की तरह दिखने वाली फर्जी नंबर प्लेट की बुकिंग ऑनलाइन लेनी शुरू कर दी है। 350 से 1400 रुपये में फर्जी एचएसआरपी बेची जा रही है। कई लुभावने ऑफर भी दिए जा रहे हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग उनके झांसे में आएं। इसके लिए बुकिंग के लिए सिर्फ पता और वाहन का नंबर ही बताना होता है। इसके बाद फर्जी नंबर प्लेट की डिलीवरी अधिकृत सेंटर पर न करके घर पर ही कर दी जाती है।
– कुल वाहन 16 लाख
– एचएसआरपी आठ लाख
अपराधी ऑनलाइन बिक रही फर्जी एचएसआरपी का फायदा उठा सकते हैं। वह किसी भी वाहन नंबर की फर्जी एचएसआरपी ऑनलाइन बनवाकर आपराधिक वारदातों को अंजाम दे सकते हैं। ऐसे में एचएसआरपी की मदद से अपराध को रोकने की पुलिस की मंशा पर पानी फिर सकता है। फर्जी एचएसआरपी नंबर प्लेट को पकड़ने के लिए यातायात पुलिस की ओर से उसकी स्कैनिंग आवश्यक है।
रवीना त्यागी, डीसीपी ट्रैफिक
मानक के अनुरूप सही नंबर प्लेट के लिए WWW.bookmyhsrp.com और WWW.parivahan.gov.in पर आवेदन करना चाहिए। एचएसआरपी न लगे होने पर पांच हजार रुपये का जुर्माना है। अगर वाहन में एचएसआरपी की तरह ही दिखने वाली फर्जी नंबर प्लेट पाई जाती है तो पांच से 10 हजार रुपये तक का चालान किया जा सकता है। कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।
असली एचएसआरपी के लिए देनी होती है ये जानकारी
असली एचएसआरपी ( HSRP) की बुकिंग के लिए लिए वाहन का इंजन नंबर, चेसिस नंबर, निर्माण वर्ष आदि की जानकारी देनी होती है। जबकि, फर्जी एचएसआरपी के लिए बिना किसी प्रमाण के सिर्फ वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर मांगा जाता है।
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ऐसे पहचानें असली एचएसआरपी
– हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट पर भारत का अंतरराष्ट्रीय कोड (आईएनडी)
– एज्यूमीनियम की नंबर प्लेट
– क्रोमियम होलोग्राम स्टिकर। इसी में होता है वाहन का संपूर्ण विवरण
– सात अंकों का लेजर कोड, जो प्रत्येक वाहन का अलग होता है।
बिना औपचारिकता पूरी कराए ही एचएसआरपी सीधे घर पर भेज देते हैं
यातायात विभाग (Traffic Department) की ओर से जारी की गईं दो वेबसाइटों के अलावा गूगल पर ऑनलाइन एचएसआरपी खरीदने के लिए सर्च करने पर ढेरों विकल्प उपलब्ध हो जाते हैं। इनमें से कुछ तो रजिस्टर्ड वेबसाइट के पेज पर ही पहुंचती हैं और कुछ सीधे खुद ही सेलर के माध्यम से एचएसआरपी उपलब्ध कराती हैं। डीसीपी ट्रैफिक के अनुसार किसी भी तरह के साइबर फ्राड (cyber fraud) से बचने के लिए सिर्फ रजिस्टर्ड वेबसाइटों के माध्यम से ही एचएसआरपी बुक करानी चाहिए। कुछ सेलर वेबसाइटों पर भी एचएसआरपी सर्च करने पर तमाम विकल्प मिल जाते हैं, जो बिना औपचारिकता पूरी कराए ही एचएसआरपी सीधे घर पर भेज देते हैं।
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