Hindu Religion: हिंदू धर्म में व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कार बताए गए हैं। इस संस्कारों में दूसरे नंबर पर है पुंसवन संस्कार (Punsavan Sanskar)।
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इन संस्कारों के अनुसार जीवन-यापन करने से मनुष्य जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। आइए जानते हैं कि हिंदू धर्म में इसका क्या महत्व है। और यह संस्कार करना क्यों जरूरी माना गया है।
क्यों जरूरी है पुंसवन संस्कार
पुंसवन संस्कार (Punsavan Sanskar) महिला द्वारा गर्भ धारण करने के 3 महीने बाद किया जाता है। माना जाता है कि यह वह समय है जब शिशु के मस्तिष्क का विकास होना शुरू होता है। इसी संस्कार से शिशु में संस्कारों की नींव रखी जाती है। मान्यताओं के अनुसार पुंसवन संस्कार (Punsavan Sanskar) करने से संतान हष्ट पुष्ट पैदा होती है साथ ही इस कर्म से गर्भ में शिशु की रक्षा भी होती है।
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कैसे होता है पुंसवन संस्कार
इस संस्कार में एक विशेष औषधि को गर्भवती स्त्री की नासिका के छिद्र से भीतर पहुंचाया जाता है। हालांकि औषधि ग्रहण करना जरूरी नहीं। विशेष पूजा और मंत्र के माध्यम से भी यह संस्कार किया जा सकता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पुंसवन संस्कार के लिए सबसे अच्छे दिन सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार माने गए हैं। इस दिन पूजा की थाली में चावल, रोली, फूल, तुलसी, गंगाजल और खीर शामिल करें। इसके बाद भगवान को भोग लगाएं। गर्भवती महिला के हाथ में कलावा बांधकर घर के सभी सदस्य एक साथ बैठकर भगवान को लगाए गए भोग का सेवन करें यही संस्कार होता है।
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किन बातों को ध्यान रखना जरूरी
गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को अच्छी किताबें पढ़ना चाहिए, खुशनुमा वातावरण में रहना चाहिए, इस दौरान खान-पान का खास ख्याल रखें। मन में अच्छे विचार लाने चाहिए। पति-पत्नी के बीच अच्छे रिश्ते होना चाहिए जिससे आपको उत्तम संतान की प्राप्ति हो।
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