MANIPUR VIOLENCE : मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाए जाने के केस में मंगलवार यानी 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पुलिस की जांच को सुस्त बताया। कोर्ट ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था बिल्कुल ध्वस्त हो चुकी है। MANIPUR VIOLENCE
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MANIPUR VIOLENCE लाइव लॉ के मुताबिक कोर्ट ने हैरानी जताई कि राज्य की जातीय हिंसा में लगभग 3 महीने तक FIR ही दर्ज नहीं की गई। बाद में जब 6000 से ज्यादा FIR हुईं तो इनमें चंद गिरफ्तारियां की गईं। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर DGP को कोर्ट में हाजिर होकर इन सभी सवालों का जवाब देने का निर्देश दिया है। FIR में देरी पर केंद्र ने कोर्ट से कहा कि मणिपुर में हालात बेहद खराब हैं। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। पिटीशन में पीड़ित महिलाओं की पहचान जाहिर नहीं की गई है। उन्हें X और Y नाम से संबोधित किया गया है। ।MANIPUR VIOLENCE
कोर्ट ने कहा है कि एक बात तो साफ है कि मामले में एफआईआर दर्ज करने में काफी देर हुई। मणिपुर में एक महिला को कार से निकालकर बेटे के सामने मार देने की घटना का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह 4 मई को हुआ था, लेकिन मामले में एफआईआर सात जुलाई को दर्ज हुई। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने मणिपुर सरकार को घेरते हुए कहा कि सिर्फ एक-दो एफआईआर के अलावा कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। जांच भी ढीली ढाली रही। एफआईआऱ दो महीने बाद दर्ज हुईं और बयान तक दर्ज नहीं किए गए। MANIPUR VIOLENCE
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चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली बेंच ने महिलाओं की ओर से पेश हुए वकील निजाम पाशा के आवेदन पर गौर किया, जिसमें कहा गया था कि महिलाओं को आज दिन में सीबीआई के सामने बयान दर्ज करने के लिए बुलाया गया है। हालांकि, केंद्र और मणिपुर सरकार की ओर से पेश हुए वकील एसजी तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। MANIPUR VIOLENCE
सुनवाई तक CBI के बयान लेने पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार सुबह केंद्र को आदेश दिया कि सुनवाई पूरी होने तक CBI वायरल वीडियो केस की पीड़िताओं के बयान न ले। बेंच ने कहा कि एजेंसी आज की सुनवाई पूरी होने का इंतजार करे। सोमवार को सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता ने सुझाव दिया था कि हाई पावर कमेटी मामले की जांच करे, जिसमें महिलाएं भी हों। MANIPUR VIOLENCE
सुनवाई के दौरान क्या हुआ?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बतया कि राज्य सरकार ने जातीय हिंसा भड़कने के बाद 6,523 प्राथमिकियां दर्ज कीं। राज्य पुलिस ने महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने से जुड़े मामले में जीरो प्राथमिकी पांच मई को ही दर्ज कर ली थी। मामले में एक नाबालिग समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। MANIPUR VIOLENCE
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सॉलिसिटर जनरल Solicitor General Tushar Mehta ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि ऐसा लगता है कि पुलिस ने महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का वीडियो सामने आने के बाद उनका बयान दर्ज किया।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि यह बिलकुल स्पष्ट है कि वीडियो मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में काफी देरी हुई। कोर्ट ने पूछा कि प्राथमिकियों में कितने आरोपियों को नामजद किया गया, उनकी गिरफ्तारी के लिए क्या कार्रवाई की गई। कोर्ट ने मणिपुर के डीजीपी को राज्य में जातीय हिंसा से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सोमवार को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया। MANIPUR VIOLENCE
कोर्ट ने मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाए जाने की घटना तथा इस घटना, जीरो प्राथमिकी, नियमित प्राथमिकी दर्ज किए जाने की तारीखों का विवरण मांगा।
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केंद्र ने कहा- हमें SUPREME COURT की निगरानी में जांच से आपत्ति नहीं