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जानें, क्या है पंचामृत और क्या है इसकी महिमा…
पांच तरह की विशेष चीज़ों को मिलाकर पंचामृत का निर्माण किया जाता है. वे चीजें हैं – दूध, दही, मधु, शक्कर, घी. अलग अलग तरह से पंचामृत देवी देवताओं को अर्पित करने और निर्माण करने की परंपरा है परन्तु मुख्य रूप से श्री हरि की पूजा में इसका विशेष प्रयोग होता है. बिना पंचामृत के श्री हरि या इनके अवतारों की पूजा नहीं हो सकती.
पंचामृत के विशेष प्रयोग से तमाम समस्याएँ दूर की जा सकती है.
पंचामृत में पड़ने वाली चीज़ों का क्या है महत्व
दूध
- शरीर को पुष्ट करता है
- मन को शांत करके तनाव दूर करता है
- शरीर के अन्दर के विष को दूर करता है
दही
- पाचन तंत्र मजबूत करता है
- त्वचा और चेहरे को कांतिवान बनाता है
- एकाग्रता को बेहतर करता है और सुख की वृद्धि करता है
मधु (शहद)
- शरीर से अतिरिक्त चर्बी हटाता है
- आध्यात्म भाव को और धर्म के प्रति झुकाव को मजबूत करता है
- परिवार के लोगो के साथ सम्बन्ध मजबूत करता है
शक्कर
- ऊर्जा का स्तर बनाये रखता है , आलस्य कम करता है
- नींद की समस्या को दूर करता है
- वाणी को मधुर करता है और अनुशासित रखता है
घी
- शरीर को बल और पुष्टि देता है
- नेत्र ज्योति बनाये रखता है
- हड्डियों को मजबूत बनाये रखता है
पंचामृत का प्रयोग किस प्रकार करें….
- पंचामृत का निर्माण सूर्यास्त के पूर्व करें
- दूध के लिए गाय का दूध प्रयोग करना ज्यादा उत्तम होगा
- पंचामृत बन जाने के बाद इसमें तुलसी दल और गंगाजल भी डालें
- अगर शालिग्राम है तो उसे पंचामृत में स्नान कराएँ
- अन्यथा एक चांदी का सिक्का डालें, और भाव लें की इसके माध्यम से श्री हरि को स्नान करा रहे हैं
- अब श्री हरि को स्मरण करके पंचामृत ग्रहण करें
- पंचामृत दोनों हाथों से ग्रहण करें- इसको भूमि पर न गिरने दें
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