जानें, गंगा माता के धरती पर उतरने की कहानी
हिंदू धर्म में मां गंगा के प्रति बड़ी आस्था है. 24 मई गुरुवार को गंगा दशहरा है. इसी दिन माँ गंगा धरती पर आयी थी. आजकल संतान बिगड़ती जा रही है -माता पिता परेशान हैं. बच्चा पढाई से दूर भागता है –चोरी -नशाखोरी कर रहा है. बड़े लोग शराब पी लेते हैं, माँसाहारी भोजन करते हैं. अब गंगा माता ही इन सबको सुधारेंगी.
गंगा जी को क्यों कहते हैं माता
गंगा दशहरा के अवसर पर माँ गंगा धरती पर पधारीं थीं. इसे गंगा जयंती के रूप में मनातें है, गंगा माता तो दुष्ट संतानों की मुक्ति के लिए ही धरती पर आईं थीं. गंगाजी सूर्य का कारक होती हैं.
किसी की कुंडली चाहे कितनी खराब हो, गंगा माँ सबको सुधारेंगी.
गंगा माता के धरती पर उतरने की कथा-
एक जमाने में अयोध्या के एक राजा सगर थे उनके 100 पुत्र थे. सगर अपने संतान से बहुत परेशान थे. सारे के सारे बहुत दुष्ट और शरारती थे. राजा सगर इन संतानो से इतने दुखी थे कि,अपने पोते अंशुमान को राजा बना दिया. एक बार राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ किया तो, इंद्र ने अश्वमेघ के घोड़े को ही कपिल मुनि के आश्रम में छिपा दिया तो, सगर के पुत्र कपिल मुनि को मारने पहुँच गए
कपिल मुनि ने ऐसा श्राप दिया कि सगर के सारे दुष्ट पुत्र संताने भस्म हो गए. उनकी मुक्ति के लिए गंगा जी को धरती पर लाना जरुरी था.
बच्चों को सुधारेगी गंगा माता-गंगा दशहरा पर ग्रह नक्षत्रों का वही संयोग बना है माँ गंगा के इस जन्म दिवस पर बच्चों की माताये व्रत करें
गंगा माता की धूप दीपक जलाकर दूध फल फूल मिठाई से पूजा करें बच्चे सुधर जाएंगे ,पाप से मुक्ति मिलेगी
मन्त्र जाप करें –ॐ गंगायै नमः