मलमास में पुण्य कमाने के लिए प्रभु को लगाएं इसका भोग
स्कंद पुराण के अनुसार तीन वर्ष के अंतराल में आने वाले अधिक मलमास में मनुष्य के द्वारा किए गए व्रत, जप, तप, नियम, दान धार्मिक कार्य करने से दस गुणा महान पुण्यफल प्राप्त होता है तथा तीर्थों के दर्शन से पाप भस्म होते हैं। भगवान विष्णु और लक्ष्मी की इन दिनों पूजा करने का विशेष विधान है। विष्णु पुराण के अनुसार, तीर्थ में रहकर धर्म से संबंधित सत्कर्मों पर जो़र दिया गया है। इस शुभ अवसर पर अनुष्ठान व उपायों के द्वारा तीर्थों (इलाहाबाद, हरिद्वार, चार धाम) पर जाकर मनुष्य अनेक चिंताओं से मुक्ति पा सकता है।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए
जिन लोगों की जन्मपत्री में दरिद्र योग है, ऐसे जातक 29 मई के सुअवसर पर एकाक्षी श्रीफल के सामने कमल-गट्टे की माला से सवा लाख जाप करें। व्यापार में आ रही बाधा दूर होगी तथा जॉब मिलने के अवसर प्राप्त होंगे।
आलौकिक आनंद के लिए
निर्जन स्थान में पक्षियों के लिए दाना-पानी का प्रबंध करें, गंगा स्नान करें, पांच प्रकार के ऋतु फल, पांच प्रकार के फूल, पंचमेवा, गंगामैय्या की आरती करें तथा अंधविद्यालय व अनाथालय में भंडारा लगाएं। उत्तराखंड के चार धामों (गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ) की यात्रा एवं अधिक मास में पुण्य कमाने का गंगा स्नान एक शुभ अवसर है।
मुकद्दमे में सफलता के लिए
हनुमान जी की आराधना करें। सात मंगलवार गुड़हल का फूल एवं काले गुलाब-जामुन महाकाली को एवं अपराजिता का फूल तथा पेड़े का भोग दक्षिणमुखी या पंचमुखी हनुमान जी को लगाकर हनुमान चालीसा एवं श्रीराम का जाप करें तथा बलेसर एवं आधारशिला राजस्थान में 101 बंदरों व लंगूरों को गुड़-चने व केले खिलाएं।
व्यापार वृद्धि एवं तंत्र बाधा निवारण के लिए
जिन जातकों की जन्मपत्री में तंत्र बाधा, शत्रु बाधा या व्यापार बाधा हो सिद्ध एकाक्षी श्रीफल एवं पांच लघु श्रीफल, सात ताज़ा लाल गुलाब के फूल इंद्रजाल पर रखकर हल्ट-हकीक की माला से तंत्र निवारण जाप करके 29 मई को पूर्णिमा के अभिजित मुहूर्त में सिद्धपीठ असम की कामाख्या देवी, श्री सालासर, मेहंदीपुर के बालाजी, तिरुपति बाला जी, कनाट प्लेस दिल्ली में पांडवों द्वारा निर्मित श्री हनुमान मंदिर में अर्पित करें, लंगूरों-बंदरों को खाना खिलाएं तथा कामना पूूर्ति के बाद हनुमान मंदिर में भंडारा लगाएं।
विवाह व संतान प्राप्ति के लिए
जिन जातकों की कुंडली में पितर दोष के कारण या पिछले पाप-कर्मों के दुष्प्रभाव से विवाह में बाधा या संतान नहीं हो रही हो, तो वे इस सुअवसर पर हरिवंश पुराण का वाचन एवं श्रवण करें, सर्व पितृदोष निवारण प्रयोग कर पितर यंत्र धारण करें तथा 101 साधु, जरूरतमंदों एवं गायों को भोजन, दक्षिणा व वस्त्र दान करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। पिंजरे में बंद तोतों को आजाद करवाएं तथा आवारा कुत्तों को पालें।