Salaar Review in hindi : 22 दिसंबर को, केजीएफ चैप्टर 1 और 2 के निर्देशक प्रशांत नील की सालार विश्व भर में सिनेमाघरों रिलीज हो गई है. सालार में प्रभास, पृथ्वीराज सुकुमारन, श्रुति हासन, श्रिया रेड्डी और जगपती बाबू हैं।
सालार (Salaar) को लेकर जबरदस्त हाइप थी. लेकिन फिल्म को लेकर निगेटिव प्रचार भी हो रहा था और इसे उग्रम का रीमेक बताया जा रहा था. लेकिन प्रशांत नील की फिल्म सालार देखने के बाद पहली बात जो मन में आती है कि इसमें उग्रम भी है। इसमें केजीएफ जैसी फीलिंग भी है. लेकिन यह पूरी तरह से सालार ही है. आइए जानते हैं प्रशांत नील और प्रभास की फिल्म सालार के बारे में… Salaar Review in hindi
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स्टोरी
सालार की कहानी प्रभास और पृथ्वीराज सुकुमारन की है। पृथ्वीराज के लिए प्रभास कुछ ऐसा करते हैं कि वह उनका एहसान मानते हैं. फिर कुछ ऐसा होता है कि पृथ्वीराज के एहसान तले प्रभास दब जाते हैं. फिल्म में श्रुति हासन भी है। लेकिन अंततः कहानी अपराधियों के गढ़ खानसार में पहुंचती है। जिसकी अपनी अलग दुनिया और कुछ नियम हैं। यहां जीवित रहने के लिए दूसरों को मार डालना पड़ता है। फिल्म की कहानी उग्रम से शुरू होती है और केजीएफ का फील देते हुए इंटरवल के बाद सालार में बदल जाती है, प्रशांत नील एक अलग ही दुनिया में ले जाते हैं.
डायरेक्शन
सालार का डायरेक्शन लाजवाब है. प्रशांत नील ने दिखा दिया है कि वह एक शानदार किस्सागो हैं और एक्शन फिल्मों के मास्टरमाइंड है. उन्होंने दिखा दिया है कि वह रंगों के साथ खेलना जानते हैं और उन्होंने कहानी और किरदारों के साथ जो कमाल किया है वह मजेदार है. फिल्म का अंत जहां छोड़ा है, आपके दिमाग में सवाल उठता रहेगा कि अब क्या और उन्होने इशारा कर दिया है कि सालार का अगला पार्ट शौर्यांग पर्वम है जो और भी धांसू रहने वाला है.
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पृथ्वीराज, जगपति और श्रिया का परचम
फिल्म के मुख्य किरदार वेदा के बचपन के दोस्त वर्धा की इस मूल कहानी में पृथ्वीराज सुकुमारन ने बड़े वर्धा का किरदार निभाया है। वह खानसार के राजा की दूसरी पत्नी की संतान है। वेदा की मां की लाज बचाने के लिए दी गई कुर्बानी के चलते वह दर बदर होता है लेकिन बुढ़ापे में राजा को इस राजकुमार की याद आ ही जाती है। और, राजा के इस एक फैसले से पूरे खानसार के सिपहसालार और सरदार बौखला जाते हैं। सलार का शाब्दिक अर्थ भी सरदार ही है। वर्धा की जान मुश्किल में होती है तो उसे बचाने उसका बचपन का सलार देवा फिर लौटता है। प्रभास ने यदि एक बेटे के तौर पर कई दृश्यों में बढ़िया भावनात्मक अभिनय किया है तो पृथ्वीराज सुकुमारन पहले एक लाचार राजकुमार और फिर दोस्त का साथ पाकर बने शूरवीर के रूप में खूब प्रभावित करते हैं। जगपति बाबू जितनी देर भी परदे पर दिखते हैं, उनका रुआब काबिलेगौर होता है। श्रुति हसन का किरदार कहानी के इस पहले हिस्से में सिर्फ उत्प्रेरक का काम करता है। और, फिल्म ‘सलार पार्ट वन सीज फायर’ के महिला किरदारों की कमान संभाली है श्रिया रेड्डी ने। श्रिया रेड्डी ने सियासत की चौसर पर तमाम पुरुष किरदारों के बीच एक महिला किरदार को बहुत ही दमदार तरीके से स्थापित किया है।
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सांसें रोक देने वाला एक्शन
फिल्म ‘सलार पार्ट वन सीज फायर’ में भुवन गौड़ा की सिनेमैटोग्राफी यहां प्रशांत नील के तरकश का सबसे कामयाब तीर बनती है। अंबारिवू के सांसों को रोकने वाले एक्शन निर्देशन में एक अलग विचार देखने को मिलता है। फिल्म का संपादन करने में उज्ज्वल कुलकर्णी का कौशल भी तारीफ के काबिल है, जो विदेशी स्थानों की हवाई फोटोग्राफी को सेट पर शूट किए गए दृश्यों में पिरोकर एक काल्पनिक दुनिया का हिस्सा बना देता है। फिल्म की हिंदी डबिंग भी काफी प्रभावशाली है, जो फिल्म को हिंदी में भी लोकप्रिय बनाने का पूरा दमखम देती है।