Kanpur Bikru Scandal : कानपुर के चर्चित बिकरू कांड (Kanpur Bikru Scandal) के आरोपी जयकांत बाजपेई (Jaikant Bajpai) के तीनों भाइयों की कानपुर पुलिस कमिश्नरेट ने गुंडा एक्ट खत्म कर दी है। जयकांत के साथ ही उसके काले धंधों में तीनों भाइयों की भी संलिप्तता सामने आई थी।
इसके बाद जयकांत के तीनों भाइयों पर 2021 में गुंडा एक्ट की कार्रवाई की गई थी। नजीराबाद थाना प्रभारी कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर यह गुंडा एक्ट तीनों भाइयों से हटाई गई है। वहीं पुलिस ने जारी अपने बयान में बताया कि जयकांत बाजपेई 2020 से ही जेल में बंद और अब तक उसकी रिहाई नहीं हुई है। उसपर गुंडा एक्ट की कार्रवाई नहीं की गई थी। अभियुक्त की हिस्ट्रीशीट खोली गई है और निगरानी की जा रही है। Kanpur Bikru Scandal
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विकास दुबे को भगाने की कोशिश की थी
कानपुर के चर्चित बिकरू कांड (Kanpur Bikru Scandal) में नजीराबाद थाना क्षेत्र का रहने वाला जयकांत बाजपेई भी आरोपी है। जयकांत बाजपेई गैंगस्टर विकास दुबे का खजांची था। बिकरू कांड के बाद अपनी लग्जरी गाड़ियाें, असलहे और रुपए देकर गैंगस्टर विकास दुबे को भगाने की कोशिश की थी, लेकिन इससे पहले जयकांत की तीनों गाड़ियों को पुलिस ने पकड़ लिया था। जांच में उसके तीनों भाइयों शोभित, अजयकांत और रजयकांत बाजपेई की भी संलिप्तता सामने आई थी। इसके बाद नजीराबाद पुलिस ने तीनों भाइयों शोभित बाजपेई, रजयकांत बाजपेई और अजयकांत बाजपेई के खिलाफ नजीराबाद थाने से गुंडा एक्ट और गैंगस्टर की कार्रवाई की गई थी।
Kanpur Bikru Scandal
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नजीराबाद थानेदार के पैर में लगी थी गोली
नजीराबाद थाना के प्रभारी फिलहाल कौशलेंद्र प्रताप हैं। बिकरू कांड के दौरान, कौशलेंद्र प्रताप सिंह के पैर में भी गोली लगी थी। कौशलेंद्र बिकरू कांड के प्रत्यक्षदर्शी हैं। लंबे इलाज के बाद कौशलेंद्र काम पर वापस लौट सके थे।
10 साल की सजा
चौबेपुर पुलिस ने बिकुर कांड के आरोपियों में से 30 लोगों पर गैंगेस्टर की कार्रवाई की थी। विकास दुबे का खजांची जयकांत बाजपेई नाम भी था। 5 सितंबर 2023 को, जयकांत बाजपेई सहित 23 आरोपियों को कानपुर देहात की कोर्ट की गैंगस्टर कोर्ट ने दस वर्ष की कैद और 50 से 50 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। इसके बावजूद, कानपुर पुलिस ने गुंडा एक्ट मामले में राहत देकर खुद कटघरे में खड़ी हो गई है।
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जयकांत बना करोड़पति
10 साल पहले, विकास दुबे का खजांची जय बाजपेई नजीराबाद थाना क्षेत्र में एक छोटे से घर में रहता था और एक प्रिंटिंग कारखाने में काम करता था। कहा जाता है कि इसी बीच जय हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के संपर्क में आ गया। दरअसल, विकास दुबे का गांव और जय का गांव एक-दूसरे के निकट हैं। जय बाजपेई ने हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की ब्लैकमनी को सफेद बनाया। उसके तीनों भाई इस काम में उसका साथ देते थे। इतना ही नही जय बाजपेई विकास दुबे का पैसा रियल स्टेट, सरकारी जमीन खरीदने और अधिग्रहण करने में लगाया था। जय और उसके भाइयों ने अपराध करके बहुत पैसा कमाया था। विकास दुबे (vikash dubey) का करोड़ों रुपया जय बाजपेई ने ब्याज पर बांट रखा था।