Uttar Pradesh News : कानपुर के एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट (LPS Cardiology Institute) में देश का पहला हार्ट ट्रांसप्लांट सेंटर बनेगा। इससे हृदय रोगियों को बचाया जा सकता है। हादसे में ब्रेन डेड होने वाले घायलों का दिल दूसरों के लिए काम आ सकेगा, जिससे हृदय रोगियों (heart patients) को दूसरी जिंदगी मिल जाएगी। कार्डियोलॉजी (Cardiology) में हार्ट ट्रांसप्लांट सेंटर (Heart Transplant Center) के लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। Uttar Pradesh News
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शासन ने संस्थान को एक हाइब्रिड ऑपरेशन थिएटर (Hybrid Operation Theater) स्वीकृत कर दिया है। इस खास थिएटर के बिना दिल का ट्रांसप्लांट सेंटर नहीं बनाया जा सकता। कार्डियोलॉजी प्रबंधन सेंटर अब मार्च में लाइसेंस के लिए आवेदन करेगा। इसके बाद हृदय प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू हो जाएगी। Uttar Pradesh News
शासन को दो साल पहले कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट ने हार्ट ट्रांसप्लांट सेंटर का प्रस्ताव भेजा था। अभी तक यह प्रक्रिया में रहा है। हाइब्रिड ऑपरेशन थिएटर की स्वीकृति से इस दिशा में कार्य तेज हो गया है। हाइब्रिड ऑपरेशन थिएटर का बजट 20 करोड़ रुपये है, कार्डियोलॉजी के निदेशक प्रोफेसर डॉ. राकेश वर्मा ने बताया।
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रोगी को कहीं शिफ्ट नहीं करना पड़ता
इसमें एक ही जगह ओटी और कार्डियक कैथेटेराइजेशन (कैथ) लैब है। हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद, नसों की सही जुड़ाव की जाँच की जाती है। यह देखा जाता है कि नसें सही जुड़ी हैं कि नहीं। कैथ लैब इसे देखता है। रोगी को कहीं शिफ्ट नहीं करना पड़ता। उनका कहना था कि संस्थान के दूसरे तल पर एक केंद्र बनाया जा रहा है। इसकी तैयारी पूरी है।
यह प्रदेश का पहला हार्ट ट्रांसप्लांट सेंटर होगा
प्रोफेसर वर्मा ने कहा कि वे मार्च में ट्रांसप्लांट सेंटर में आवेदन करेंगे। इस संबंध में आवेदन मार्च में ही होता है। वह खुद भी लाइसेंस मामले की देखरेख कर चुके हैं। इसी से पहले सारी तैयारी कर ली है। निरीक्षण के तीन महीने बाद अंतिम रिपोर्ट लग जाती है। उन्होंने बताया कि यह प्रदेश का पहला हार्ट ट्रांसप्लांट सेंटर होगा।
हाइब्रिड ऑपरेशन थिएटर की प्रक्रिया मार्च के पहले पूरी कर लेंगे
प्रदेश में इस तरह की व्यवस्था अभी नहीं है। हार्ट ट्रांसप्लांट इस वक्त सबसे अधिक दक्षिण भारत के विशेषज्ञ कर रहे हैं। लाइसेंस मिलने के बाद भी यहीं शुरू होगा। मार्च के पहले हाइब्रिड ऑपरेशन थिएटर का काम पूरा हो जाएगा। इसी क्रम में उपकरण भी आते रहेंगे।
हाइब्रिड ऑपरेशन थिएटर की मंजूरी बहुत महत्वपूर्ण है। अभी यह थिएटर किसी मेडिकल कॉलेज के पास नहीं है। इससे हार्ट ट्रांसप्लांट सेंटर की राह खुल गई है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज (GSVM Medical College) के न्यूरो साइंसेज विभाग ने हार्ट डोनेशन पर चर्चा की। विभाग से टाई अप किया जाएगा। हादसों के कई घायल ब्रेन डेड की स्थिति में पहुंच जाते हैं। उनका हृदय दान किया जा सकता है। -प्रोफेसर राकेश वर्मा, निदेशक एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट
हार्ट ट्रांसप्लांट में ये जांचें की जाती हैं
ब्लड ग्रुप और आरएच फैक्टर।
एचएलए टाइपिंग, टिश्यू मैचिंग।
हेपेटाइटिस बी, सी और एचआईवी जांचें।