GORAKHPUR NEWS : ”रामजी सबके हैं। राम किसी एक के नहीं हैं। राम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। लेकिन, जो राम की सेवा करे और उनसे बात करे, वह भी राम है। 22 जनवरी को अयोध्या का राम मंदिर देश को समर्पित होगा। देश भर में दीपावली मनाई जाएगी। 8 पीढ़ी पहले हमारे पूर्वज गोरखपुर (GORAKHPUR) से जाकर मध्यप्रदेश के छतरपुर में बस गए। मैं सोचता था कि एक बार अपनी मिट्टी पर जरूर जाऊंगा और आज बालाजी की कृपा से यह स्वप्न संभव हो गया। GORAKHPUR NEWS
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ये बातें बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) ने कहीं। दरअसल, वो रामकथा सुनाने के लिए गोरखपुर पहुंचे हैं। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत की।
मेरी खुद की भी एक पार्टी है
मगर अभी काशी-मथुरा बाकी हैं। अब हिंदू विरोधियों की ठठरी बंधेगी। मैं साधु हूं…कोई राजनेता नहीं। हां, लेकिन मेरी खुद की भी एक पार्टी है, बजरंग बलि पार्टी। मेरी पार्टी का नारा भी है। जो राम का नहीं, वो किसी काम का नहीं।”GORAKHPUR NEWS
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सवाल: ये बाबर नहीं, रघुबर का देश है। क्या आपने ऐसा कहा था?
जवाब: बिल्कुल कहा था। इस राष्ट्र में राम की चर्चा नहीं होगी, तो किसकी चर्चा होगी? अब राम मंदिर बन चुका है। 22 जनवरी को राष्ट्र को समर्पित हो जाएगा। अभी काशी, मथुरा बाकी है। अब हिंदू विरोधियों की ठठरी बंधेगी।
सवाल: राम को लेकर राजनीति भी खूब हो रही। इसे आप कैसे देखते हैं?
जवाब: राजनीति में राम नहीं होना चाहिए। आस्था के लिए राम होना चाहिए। राम जीवन में नैतिक मूल्यों और आदर्शों के लिए होना चाहिए। हमारे जीवन, समाज और पूरे विश्व के कल्याण के लिए राम होना चाहिए।
सवाल: राम मंदिर और मथुरा सर्वे पर क्या कहना चाहेंगे?
जवाब: ये पूरे विश्व के सनातनियों की जीत है। 22 जनवरी को सनातनियों को दिवाली मनानी चाहिए। हिंदू राष्ट्र की ओर हम अग्रसर हैं। ये दूसरा कदम है, जहां नहीं खुदा अब वहां भी खुदेगा।
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सवाल: भारत को एक हिंदू राष्ट्र के रूप में कैसे देखना चाहते हैं आप?
जवाब: हिंदू राष्ट्र कागजों में नहीं चाहिए। हमें हिंदू राष्ट्र भारतीयों के दिल में चाहिए। जब हिंदू राष्ट्र भारतीयों के दिल में आ जाएगा, तो कभी पत्थर नहीं चलेंगे। संतों की हत्याएं नहीं होंगी।
सवाल: आप पहली बार गोरखपुर आए हैं। आपके पूर्वजों की भूमि मामखोर यहीं बगल में हैं। क्या वहां जाएंगे?
जवाब: मैं देश-दुनिया में जाकर प्रभु श्रीराम की कथा सुनाता हूं। मगर मुझे गोरखपुर आकर जो आनंद आ रहा है, वो और कहीं नहीं आया। यहां आकर मन गदगद हो गया, क्योंकि मैं भी यहीं बड़हलगंज के मामखोर गांव का ही रहने वाला हूं।
सवाल: लोक कल्याण के लिए राम-रामकथा कितनी जरूरी है?
जवाब: राम सिर्फ हिंदू धर्म के लोगों के लिए नहीं हैं। राम में ही समग्र विश्व समाहित है। गोस्वामी तुलसीदास ने सिद्ध करने की कोशिश की कि जो व्यक्ति रामचरित्र नहीं रखता, वह मानव कहलाने का भी अधिकारी नहीं है। रामचरितमानस को पढ़ना चाहिए, क्योंकि यह बताता है कि राम देश से कितने जुड़े हैं।
सवाल: वर्तमान परिस्थिति के आधार पर हिंदुत्व का भविष्य क्या है?
जवाब: यह बड़ा कठिन प्रश्न है। एक श्लोक है धर्मों रक्षति रक्षित:। हिंदुत्व का भविष्य उज्ज्वल बना रहे इसके लिए धर्मावलंबियों को अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठावान होना होगा। लोग कथावाचकों को प्रेरणाश्रोत मानते हैं। ऐसे में यह हमारी भी जिम्मेदारी है। हम सबको अपने उत्तरदायित्व का सम्यक निर्वहन करना होगा। कथाकार, पत्रकार, चित्रकार, नीतिकार, अदाकार और गीतकार इसमें मील का पत्थर हैं। इन्हें समाज की नींव को मजबूत करना चाहिए।
सवाल: इस दौर को हिंदू चेतना के जागरण का दौर कहा जा रहा है? इससे आप कितना सहमत हैं?
जवाब: यह तो अपनी-अपनी दृष्टि, अपनी अपनी सोच है। मैं यह देख रहा हूं कि आज की युवा पीढ़ी जागृत चेतना का प्रतीक बनकर उभरी है। कथाओं के प्रति, धर्म के प्रति, आस्था के प्रति उसके मन में बड़ा स्थान है। यह अच्छे भविष्य का सूचक है। यह मात्र हिंदू ही नहीं, बल्कि सनातन धर्म के लिए भी है।
सवाल – हिंदुत्व और राम एक दूसरे से कैसे संबंधित हैं?
जवाब: हंसते हुए…अखिल ब्रह्मांड में सिर्फ एक ही धर्म है और वह है सनातन। जिसका न आदि है न अंत। बाकी सब पंथ हैं। हम हिंदुस्तान में हैं। इसलिए हमने अपने धर्म को हिंदू मान लिया। सनातन ही एक ऐसा धर्म है, जो पूरे विश्व के मंगल की कामना करता है। राम की बात करें तो वे मानव मात्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सवाल: हिंदू धर्म में समाज जातियों में बंट रहा है? इसे आप कैसे देखते हैं?
जवाब: जाति की व्यवस्था प्रारंभ से है। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। इसमें किसी को बड़ा-छोटा नहीं कह सकते। अपने कर्म के हिसाब से सबको अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई। सब अपना कार्य कर रहे हैं। हालांकि, वर्तमान में इस व्यवस्था का फायदा धर्म परिवर्तन कराने वाले उठा रहे हैं। इसके लिए हम भी दोषी हैं। हमें किसी को उपेक्षित करने का अधिकार नहीं है।
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