Amalaki Ekadashi katha : आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी पर मनाई जाती है। हिंदू धर्म में यह एकादशी बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान विष्णु और आंवले का पेड़ दोनों की पूजा की जाती है। पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए, आमलकी एकादशी के दिन इस व्रत कथा को पढ़ना अनिवार्य है। अब आइए पढ़ते हैं आमलकी एकादशी की व्रत कथा। Amalaki Ekadashi katha
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इस दिन मनाई जाएगी आमलकी एकादशी
आमलकी एकादशी किस दिन है ?
आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi 2024 Shubh Muhurt) की शुरुआत 20 मार्च दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर होगी। वहीं, इसकी समाप्ति अगले दिन 21 मार्च, 2024 दोपहर 02 बजकर 22 मिनट पर होगी। साथ ही इसका पारण 21 मार्च दोपहर 01 बजकर 07 मिनट से 3 बजकर 32 मिनट तक के बीच होगा।
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पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में वैदिक नामक एक नगर था, जहां चैत्ररथ नामक चंद्रवंशी राजा राज्य करते थे। नगरवासी बहुत ही प्रसन्न थे। इस नगर में सभी लोग विष्णु जी के भक्त थे और एकादशी का व्रत किया करते थे। एक बार फाल्गुन शुक्ल एकादशी के दिन सभी भक्तजन व्रत कर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और रात्रि जागरण कर रहे थे, तभी वहां एक महापापी और दुराचारी शिकारी आया। वह भी वहां रुककर भगवान विष्णु की कथा तथा एकादशी का महात्म्य सुनने लगा। इस प्रकार उस शिकारी ने अपनी पूरी रात जागरण करते हुए व्यतीत की। अगले दिन वह घर गया और भोजन करके सो गया। कुछ दिनों बाद ही उस बहेलिया का निधन हो गया।
इस रूप में लिया अगला जन्म
शिकारी के पापों के कारण उसे नरक भोगना पड़ता, लेकिन उसने अनजाने में आमलकी एकादशी व्रत कथा सुनी थी और जागरण भी किया था, इसलिए उसने राजा विदूरथ के घर जन्म लिया और उसका नाम वसुरथ रखा गया। एक दिन वसुरथ जंगल में भटक गया और एक पेड़ के नीचे सो गया। उस पर कुछ डाकुओं ने हमला कर दिया, लेकिन उनके अस्त्र-शस्त्र का राजा पर कोई असर नहीं हुआ और राजा सोते रहे।
जब राजा की नींद खुली तो उन्होंने पाया कि कुछ लोग जमीन पर मृत पड़े हुए हैं। उन्हें देखकर राजा समझ गए कि वह उसे मारने आए थे। तभी आकाशवाणी हुई कि हे राजन भगवान विष्णु ने तेरी जान बचाई है। तुमने पिछले जन्म में आमलकी एकादशी की व्रत कथा सुना था और यह उसी का फल है।
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अन्य पौराणिक कथा
आमलकी एकादशी की एक अन्य पौराणिक कथा भी प्रचलित है। कथा के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्मा जी को स्वयं के बारे में जानने की इच्छा हुई। इन सवालों का जवाब जानने के लिए ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु की तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनको दर्शन दिए। उनके दर्शन प्राप्त कर ब्रह्मा जी भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे।
जहां ब्रह्मा जी के आंसू गिरे वहां आंवले का पेड़ उत्पत्ति हुई। तब भगवान विष्णु ने कहा कि आपके आंसू से आंवले का पेड़ उत्पत्ति हुई है, यह पेड़ और इसका फल मुझे बहुत प्रिय होगा। आज से जो कोई भी आमलकी एकादशी व्रत करेगा और आंवले के पेड़ की पूजा-अर्चना करेगा, उसे शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
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