Surya Grahan 2024 : 08 अप्रैल को चैत्र अमावस्या है। इस दिन वर्ष का पहला सूर्यग्रहण होगा। सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या तिथि को लगता है। वहीं, पूर्णिमा तिथि को चंद्र ग्रहण होता है। राहु धरती पर ग्रहण करते समय अधिक प्रभावी होता है। ग्रहण के समय पूजा-पाठ या मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। मंदिर-मठ के दरवाजे रहते हैं। Surya Grahan 2024
अमावस्या पर इन चीजों से करें भगवान शिव का अभिषेक
चैत्र नवरात्रि में घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा
ज्योतिषीय विश्लेषण करते समय हरि नाम का स्मरण करने की सलाह देते हैं। इससे राहु का बुरा असर किसी व्यक्ति पर नहीं पड़ता है। सूर्य ग्रहण के समय इन मंत्रों का जप और सूर्य अष्टकम का पाठ करें अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त दुख और संकट से छुटकारा पाना चाहते हैं। इन मंत्रों के जप से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से साधक की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
इस दिन लगने जा रहा है साल का पहला सूर्य ग्रहण
इस दिन भूलकर भी नहीं काटें नाखून
चैत्र नवरात्र में कब है महाष्टमी और नवमी?
ॐ नमोः नारायणाय॥
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
ध्याये न्नृसिंहं तरुणार्कनेत्रं सिताम्बुजातं ज्वलिताग्रिवक्त्रम्।
अनादिमध्यान्तमजं पुराणं परात्परेशं जगतां निधानम्।।
2. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
चैत्र नवरात्र सामग्री लिस्ट, नोट करें
कलश स्थापना के समय जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ
3. सूर्य शतनामावली स्तोत्र
सूर्योsर्यमा भगस्त्वष्टा पूषार्क: सविता रवि:।
गभस्तिमानज: कालो मृत्युर्धाता प्रभाकर:।।
पृथिव्यापश्च तेजश्च खं वयुश्च परायणम ।
सोमो बृहस्पति: शुक्रो बुधोsड़्गारक एव च ।।
इन्द्रो विश्वस्वान दीप्तांशु: शुचि: शौरि: शनैश्चर:।
ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च स्कन्दो वरुणो यम:।।
वैद्युतो जाठरश्चाग्निरैन्धनस्तेजसां पति:।
धर्मध्वजो वेदकर्ता वेदाड़्गो वेदवाहन:।।
कृतं तत्र द्वापरश्च कलि: सर्वमलाश्रय:।
कला काष्ठा मुहूर्ताश्च क्षपा यामस्तया क्षण:।।
संवत्सरकरोsश्वत्थ: कालचक्रो विभावसु:।
पुरुष: शाश्वतो योगी व्यक्ताव्यक्त: सनातन:।।
कालाध्यक्ष: प्रजाध्यक्षो विश्वकर्मा तमोनुद:।
वरुण सागरोsशुश्च जीमूतो जीवनोsरिहा ।।
भूताश्रयो भूतपति: सर्वलोकनमस्कृत:।
स्रष्टा संवर्तको वह्रि सर्वलोकनमस्कृत:।।
अनन्त कपिलो भानु: कामद: सर्वतो मुख:।
जयो विशालो वरद: सर्वधातुनिषेचिता ।।
मन: सुपर्णो भूतादि: शीघ्रग: प्राणधारक:।
धन्वन्तरिर्धूमकेतुरादिदेवोsअदिते: सुत:।।
द्वादशात्मारविन्दाक्ष: पिता माता पितामह:।
स्वर्गद्वारं प्रजाद्वारं मोक्षद्वारं त्रिविष्टपम ।।
देहकर्ता प्रशान्तात्मा विश्वात्मा विश्वतोमुख:।
चराचरात्मा सूक्ष्मात्मा मैत्रेय करुणान्वित:।।
एतद वै कीर्तनीयस्य सूर्यस्यामिततेजस:।
नामाष्टकशतकं चेदं प्रोक्तमेतत स्वयंभुवा ।।
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