Cannes Film Festival : तीस साल के इंतजार के बाद, एक भारतीय फिल्म कान्स फिल्म फेस्टिवल (Cannes Film Festival) के शीर्ष कंटेस्टेंट स्लॉट में हिस्सा लेगी। तीन दशक में पहली बार कान्स में प्रदर्शित होने वाली फिल्म, लेखिका-निर्देशक पायल कपाड़िया की ‘ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट’ (All V Imagines Are Light) है। Cannes Film Festival
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11 अप्रैल को पेरिस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की गई। ये अनाउंसमेंट अध्यक्ष आइरिस नॉब्लोच और जनरल-प्रतिनिधि थियरी फ्रेमॉक्स ने की. दिलचस्प बात यह है कि कपाड़िया प्रतियोगिता में शामिल चार महिला निर्देशकों में से एक हैं. पिछले साल यह संख्या सात थी. Cannes Film Festival
अचीवमेंट
कपाड़िया के लिए फ्रेंच रिवेरा पर फेस्टिवल कोई नई बात नहीं है जिसे एक समय में “अमीरों और प्रसिद्ध लोगों के लिए खेल का मैदान” बताया जाता था. 2021 में उनकी ‘ए नाइट ऑफ नॉट नोइंग नथिंग’ ने कान्स के एक महत्वपूर्ण साइडबार, डायरेक्टर्स फोर्टनाइट में बेस्ट डॉक्युमेंट्री के लिए गोल्डन आई अवार्ड जीता.
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एक इंडो-फ्रेंच प्रोडक्शन ‘ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट’ एक नर्स प्रभा के बारे में बात करती है जिसे लंबे समय से अलग रह रहे अपने पति से एक दिन अचानक एक गिफ्ट मिलता है. जिससे वह अनकम्फर्टेबल हो जाती है. इस बीच उसकी दोस्त और रूम मेट, अनु, अपने प्रेमी के साथ रहने के लिए एक शांत जगह ढूंढने की कोशिश कर रही है. आखिरकार दोनों महिलाएं एक समुद्र से सटे शहर की सड़क यात्रा पर जाती हैं. जहां उन्हें अपने सपनों और इच्छाओं के लिए जगह मिलती है.
पिछले 77 सालों में कान्स दुनिया भर के सिनेमा का प्रदर्शन कर रहा है. केवल कुछ भारतीय फिल्में ही इसमें शामिल हो पाई हैं. चेतन आनंद की नीचा नगर (1946), वी शांताराम की अमर भूपाली (1952), राज कपूर की आवारा (1953), सत्यजीत रे की पारस पत्थर (1958), एमएस सथ्यू की गर्म हवा (1974) और मृणाल सेन की खारिज (1983) ऐसे टाइटल हैं. नीचा नगर भारत की एक अकेली ऐसी फिल्म है जिसने पाल्मे डी’ओर खिताब जीता है.
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