Jagannath Rath Yatra 2024 : ओडिशा के पुरी में हर वर्ष आषाढ़ की द्वितीया तिथि पर भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) निकाली जाती है। इस समय भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा के साथ विभिन्न रथों पर सवार होकर शहर घूमते हैं। सबसे आगे बलराम बीच में बहन सुभद्रा और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ चलता है। Jagannath Rath Yatra 2024
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भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के बारे में ऐसा बताया जाता है कि रथ को एक मजार के सामने आते ही रोक दिया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा किस कारण किया जाता है? चलिए जानते हैं इस आर्टिकल में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को मजार के सामने रोकने के रहस्य के बारे में।
इस वजह से रोका जाता है रथ
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा बेहद उत्साह के साथ निकाली जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ जी का मुस्लिम भक्त सालबेग था। मुस्लिम होने की वजह से उसको भगवान जगन्नाथ मंदिर में जाने और रथ यात्रा में शामिल होने नहीं दिया जाता था। उसकी इच्छा होते हुए भी वह मंदिर और रथ यात्रा में शामिल नहीं हो पाया। ऐसे में उसकी मृत्यु हो गई।
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उसकी मृत्यु होने के बाद जब जगन्नाथ रथ निकाली गई, तो रथ उसकी मजार पर आकर थम गया। लोगों ने बहुत कोशिश की, लेकिन रथ मजार के सामने से नहीं हिला।
इसके पश्चात लोगों ने भगवान जगन्नाथ से सालबेग की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। तब रथ अपने आप चल पड़ा। तभी से जब भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा निकलती है, तो कुछ समय के लिए मजार के सामने रथ को रोक दिया जाता है। आज के समय में भी इस परंपरा को निभाया जाता है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। jaihindtimes यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं।