Mahakal Bhasm Aarti : मध्यप्रदेश के उज्जैन में महाकाल (Mahakal) मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में शामिल है। यहां श्रद्धालु दूर-दूर से भगवान शिव की पूजा और दर्शनों के लिए आते हैं। Mahakal Bhasm Aarti
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मंदिर में कई रहस्य हैं, जो इसे आस्था का केंद्र बनाते हैं। धार्मिक लोगों का मानना है कि भगवान का दर्शन करने से जीवन-मृत्यु का चक्र समाप्त हो जाता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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भस्म आरती से जुड़ी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में उज्जैन में दूषण नामक के राक्षस ने तबाही मचा रखी थी। ऐसे में लोगों में देवों के देव महादेव से राक्षस के प्रकोप को दूर करने के लिए प्रार्थना की। इसके बाद भगवान शिव ने दूषण का वध कर लोगों की अपील पर उज्जैन में ही महाकाल के रूप में वास कर लिया। धार्मिक मान्यता है कि यहां भगवान शिव ने दूषण के भस्म से अपना श्रृंगार किया था। इसलिए वर्तमान में भी महादेव का भस्म से श्रृंगार किया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह एक ऐसा महाकाल मंदिर है, जहां भगवान महाकाल की दिन में 6 बार आरती की जाती है।
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भस्म आरती के नियम
भगवान महाकाल की सुबह 4 बजे भस्म आरती होती है। सूती कपड़े में भस्म को बांध लिया जाता है। फिर उसे शिवलिंग पर बिखेरते हुए आरती की जाती है।
भस्म आरती के दौरान महिलाओं को घूंघट करना पड़ता है। साथ ही पुजारी भी एक धोती धारण कर आरती करते हैं।
धार्मिक मान्यता है कि भस्म आरती के वक्त भगवान महकाल निराकार स्वरूप में होते हैं। इसलिए आरती में महिलाओं को घूंघट करना पड़ता है।
कितना पुराना है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
पुराणों के अनुसार, महाकालेश्वर मंदिर के बहुत पुराना माना जाता है। शिवपुराण की मानें तो श्रीकृष्ण के पालक नंद से आठ पीढ़ी पहले महाकाल यहां विराजित हुए थे। इस ज्योतिर्लिंग के बारे में वेदव्यास ने महाभारत में, कालिदास, बाणभट्ट और आदि ने भी लिखा है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। JAIHINDTIMES यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं।