Bhandara : सनातन धर्म में भंडारा (Bhandara) शुभ और मांगलिक कार्यों या फिर किसी पर्व पर किया जाता है। एक प्रकार का दान भंडारा है। Bhandara
धार्मिक मान्यता है कि भंडारा करने से मांगलिक कार्य में जातक सफल होता है। क्या आप जानते हैं कि किस तरह भंडारा करने की परंपरा शुरू हुई? यदि आप नहीं जानते हैं, तो इस लेख में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताएंगे। Bhandara
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इस तरह हुई भंडारा करने की शुरुआत
पौराणिक कथा के अनुसार, विदर्भ के राजा स्वेत परलोक में पहुंचने पर उन्हें अधिक भूख लगने लगी, लेकिन उन्हें कुछ खाने को नहीं मिला। जब उन्होंने भोजन मांगा, तो किसी ने भी उनकी मदद नहीं की। इसके पश्चात राजा स्वेत की आत्मा ने ब्रह्मदेव से पूछा कि आखिर क्यों राजा को भोजन नहीं दिया जा रहा है। इसके जवाब में ब्रह्म देव ने कहा कि आप भले ही राजा रहे हों, लेकिन आपने जीवन में कभी अन्न दान नहीं किया। इसी वजह से आपको परलोक में आने के बाद भोजन नहीं मिलेगा। इसके बाद राजा ने आने वाली नई पीढ़ी को सपने में आकर अन्न का दान करने के लिए कहा। तभी से भंडारे करने की प्रथा की शुरुआत हुई।
मिलते हैं ये लाभ
धार्मिक अनुष्ठान के बाद भंडारा करने से पूजा सफल मानी जाती है।
भंडारा करने से जातक को पुण्य की प्राप्ति होती है।
इसके अलावा मां अन्नपूर्णा की कृपा प्राप्त होती है।
भंडारा करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और धन की कमी का कभी भी सामना नहीं करना पड़ता।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए JAIHINDTIMES यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं।