BREAKING NEWS : पटना हाईकोर्ट (PATNA HIGH COURT) ने बिहार सरकार (BIHAR GOVERNMENT) के आरक्षण सीमा बढ़ाए जाने के फैसले को गुरुवार को खारिज कर दिया है।
राज्य सरकार ने शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी, ईबीसी और अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया था। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिकाओं की सुनवाई पूरी करने के बाद इसे रद्द किया है।
जहरीली शराब से 29 की मौत, जांच CID को सौंपी
पटना हाईकोर्ट में गौरव कुमार और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा गया था। 11 मार्च, 2024 को सुनवाई पूरी हुई थी जिसे आज सुनाया गया है। चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ गौरव कुमार और अन्य याचिकाओं पर लंबी सुनवाई हुई थी।
11 राज्यों में हीटवेव का अलर्ट
प्रयागराज यूपी का सबसे गर्म जिला, 21 जून तक रेड अलर्ट
HIGH COURT ने क्यों रद्द किया फैसला
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि संविधान के अनुच्छेद 16 (4) के अनुसार आरक्षण इन वर्गों के आनुपातिक प्रतिनिधित्व के बजाय सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधित्व पर आधारित होना चाहिए। याचिका में कहा गया है, इसलिए बिहार सरकार का यह अधिनियम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16 (1) और अनुच्छेद 15(1) का उल्लंघन है।
अनुच्छेद 16(1) राज्य के तहत किसी भी कार्यालय में रोजगार या नियुक्ति से संबंधित मामलों में सभी नागरिकों के लिए समानता का अवसर प्रदान करता है। अनुच्छेद 15(1) किसी भी प्रकार के भेदभाव पर रोक लगाता है।
नवंबर 2023 में नीतीश कुमार ने की थी घोषणा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने 7 नवंबर 2023 को विधानसभा में इसकी घोषणा की थी कि सरकार बिहार में आरक्षण के दायरे को बढ़ाएगी। 50 फीसदी से इसे 65 या उसके ऊपर ले जाएंगे। सरकार कुल आरक्षण 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करेगी। BIHAR NEWS
मुख्यमंत्री के ऐलान के तुरंत बाद कैबिनेट की मीटिंग बुलाई गई थी। ढाई घंटे के अंदर कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी थी। इसके बाद इसे शीतकालीन सत्र के चौथे दिन 9 नवंबर को विधानमंडल के दोनों सदनों से इसे पारित भी कर दिया गया था।