UP PCS J 2022 EXAM : Uttar Pradesh Public Service Commission द्वारा सिविल जजेज के पदों पर भर्ती के लिए आयोजित की जाने वाली UP PCS J 2022 की मुख्य परीक्षा में गड़बड़ी का सनसनीखेज मामला सामने आया है.
इस मामले में यूपी लोक सेवा आयोग ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में माना है कि रिजल्ट तैयार करने वाले अफसरो की लापरवाही के चलते गलत कोडिंग की वजह से पचास अभ्यर्थियों की कॉपियां बदल गई थी. आयोग ने रिजल्ट तैयार करने वाले पांच अधिकारियों को दोषी मानते हुए तीन को सस्पेंड कर दिया है. आयोग के उप सचिव ने गड़बड़ी वाले अभ्यर्थियों के परिणाम 3 अगस्त तक दोबारा घोषित करने का हलफनामा दाखिल किया है.
हैरान कर देने वाली बात यह है कि यूपी पीसीएस जे 2022 की जिस भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी की बात सामने आई है, उसका फाइनल रिजल्ट कई महीने पहले ही जारी हो चुका है. तकरीबन सभी अभ्यर्थी चयनित पदों पर ज्वाइन भी कर चुके हैं. ऐसे में हाईकोर्ट ने पूछा है कि प्रभावित हुए अभ्यर्थियों के लिए आयोग अब क्या कर रहा है और साथ ही यह भी बताने को कहा है कि रिजल्ट बदलने पर अगर कोई चयनित अभ्यर्थी बाहर होता है तो उसके लिए क्या किया जाएगा.
पांच अधिकारियों को दोषी पाया, तीन सस्पेंड
अभ्यर्थी श्रवण कुमार पांडेय की याचिका पर सुनवाई के यूपी लोक सेवा आयोग ने यूपी पीसीएस जे 2022 की मुख्य परीक्षा के पचास अभ्यर्थियों की कॉपियों की अदला-बदली की बात कबूली है. आयोग ने हाईकोर्ट में बताया कि पचीस पचीस कापियों के दो बंडल आपस में बदल गए थे और इसी वजह से पचास कापियों पर गलत कोडिंग हो गई थी. आयोग ने इस मामले में जांच के बाद परीक्षा से जड़े पांच अधिकारियों को दोषी पाया है. इनमें से तीन को सस्पेंड कर दिया गया है. एक अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई है. जबकि रिटायर्ड हो चुकी एक महिला अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन से अनुमति मांगी गई है.
आयोग ने लापरवाही बरतने के मामले में अनुभाग अधिकारी शिव शंकर, समीक्षा अधिकारी नेहा शुक्ला और सहायक समीक्षा अधिकारी भगवती देवी को सस्पेंड कर दिया है. इसके अलावा पर्यवेक्षक का काम देखने वाले उप सचिव सतीश चंद्र मिश्र के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई है और उन्हें आरोप पत्र जारी किया जा रहा है. कुछ दिनों पहले ही रिटायर्ड हो चुकी सहायक समीक्षा अधिकारी चंद्रकला को भी दोषी मानते हुए शासन से उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए मंजूरी मांगी गई है. उनके खिलाफ नियम 351 ए के तहत कार्रवाई के लिए मंजूरी मांगी गई है.
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बंडल में गलत कोडिंग
आयोग के सचिव अशोक कुमार ने मानवीय भूल की वजह से कापियों के बंडल में गलत कोडिंग की बात कही है. आयोग की तरफ से यह भी कहा गया है कि भविष्य में ऐसी गलती ना हो, इसके लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. गौरतलब है कि गलत कोडिंग की वजह से बदली गई सभी कॉपियां अंग्रेजी विषय की थी. अंग्रेजी का पेपर 100 नंबरों का था.
अपनी हैंड राइटिंग नहीं होने का आरोप
श्रवण कुमार ने अपनी उत्तर पुस्तिका देखने के लिए आरटीआई लगाई थी। अपनी कॉपी देखने के बाद अभ्यर्थी श्रवण कुमार ने आरोप लगाया था कि उसकी अंग्रेजी विषय की कॉपी में हैंडराइटिंग बदली गई है। इसके साथ ही एक अन्य उत्तर पुस्तिका के कुछ पन्ने फाड़े गए हैं। इसकी वजह से अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा में सफल नहीं हो पाया था। इसके बाद अभ्यर्थी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। आयोग ने हाईकोर्ट में हलफनामा दिया और बताया कि मुख्य परीक्षा में शामिल सभी 3019 अभ्यर्थियों की 18042 उत्तर पुस्तिकाओं की जांच कराई जा रही है।
1 जुलाई से नए आपराधिक कानून होंगे लागू
पीसीएस जे परीक्षा 2022 के तहत आयोग 302 पदों पर अभ्यर्थियों को चयनित घोषित कर चुका है. चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति भी मिल चुकी है. हाईकोर्ट में आयोग से अब यह बताने को कहा है कि जिन पचास अभ्यर्थियों की कॉपियां गलत कोडिंग की वजह से बदल गई है उनके रिजल्ट का क्या होगा. नए सिरे से परीक्षा परिणाम घोषित किए जाने से कितने अभ्यर्थी बाहर होंगे और कितने नए अभ्यर्थियों को स्थान मिलेगा. जो लोग नियुक्त होकर काम कर रहे हैं उनके बारे में क्या निर्णय लिया जाएगा. आयोग ने यूपी लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष से नए सिरे से हलफनामा दाखिल कर यह सभी जानकारियां उपलब्ध कराने को कहा है.
जस्टिस एसडी सिंह और जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की डिवीजन बेंच में हो रही है. याचिकाकर्ता अभ्यर्थी श्रवण कुमार पांडेय ने कापी देखे जाने पर अपनी हैंड राइटिंग नहीं होने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. श्रवण का मामला यूपी के राजभवन तक भी जा चुका है. इस मामले में कोहराम मचने के बाद आयोग ने मुख्य परीक्षा में शामिल सभी अभ्यर्थियों को उनकी कॉपियां दिखाने का फैसला पिछले दिनों लिया था. याचिकाकर्ता श्रवण इन दिनों उत्तराखंड हाईकोर्ट में वकालत कर रहे हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट में उनके मुकदमे की पैरवी अधिवक्ता विभु राय कर रहे हैं.