Kawad Yatra 2024 : सनातन धर्म में हर साल सावन (Sawan) का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए काफी फलदायी माना जाता है. सावन महीने में लाखों कांवड़िए गंगा से जल लेकर अपने मंदिरों में शिवलिंग (Shivling) पर जलाभिषेक करते हैं। Kawad Yatra 2024
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कांवड़ लाने वाले भक्त को कांवड़िया और भोला कहते हैं, जो गंगा जल लेने के लिए पैदल या गाड़ी से यात्रा करते हैं. सावन माह की त्रयोदशी तिथि (Trayodashi Tithi) पर भगवान शिव को जल चढ़ाया जाता है। सावन महीने में कांवड़ लाने और शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। चलिए जानते हैं कि कांवड़ यात्रा (Kawad Yatra) इस साल 2024 में कब से शुरू होगी. इसके साथ साथ ये भी जानेंगे कि शिवलिंग (sawan shivratri) पर जल किस दिन चढ़ाया जाएगा.
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कब शुरू हो रही है कांवड़ यात्रा
इस साल यानी 2024 में कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से आरंभ हो रही है. सावन का माह 22 जुलाई से शुरू होकर 19 अगस्त को होगा. 19 अगस्त को ही रक्षा बंधन मनाया जाएगा. कांवड़ यात्रा का अवधि की बात करें तो ये यात्रा 22 जुलाई से आरंभ होकर शिवरात्रि पर समाप्त हो जाएगी. सावन माह की त्रयोदशी तिथि पर आने वाली शिवरात्रि इस बार दो अगस्त को है और इस दिन कांवड़िए जल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाएंगे. शिवरात्रि पर कांवड़िए अपनी कावड़ में लाया शिवलिंग पर चढ़ाकर अपनी मनोकामना मांगते हैं. कांवड़ यूं तो कंधे पर लाई जाती है और इसे जमीन पर नहीं रखा जाता है. लेकिन आजकल कांवड़ लाने के कई तरीके बन चुके हैं. खड़ी कांवड़, दांडी कांवड़, डाक कांवड़ और सामान्य कांवड़.
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ये है मान्यता
कांवड़ यात्रा का प्रचलन दशकों से चला आ रहा है. कहा जाता है कि सावन माह में भगवान शिव को गंगाजल चढ़ाने से हर भक्त की मुराद पूरी होती है. कई जगह कहा गया है कि पहली कांवड़ भगवान परशुराम लाए थे. मान्यता है कि भगवान परशुराम गढ़मुक्तेशर से पहली कांवड़ में गंगाजल लाए थे और उत्तर प्रदेश के बागपत में बने पुरा महादेव मंदिर में शिवलिंग का गंगाभिषेक किया था. कहा जाता है कि समुद्र मंथन से निकले विष को पीने से भोलेनाथ का गला नीला पड़ गया था. इस विष की जलन को ठंडा करने के लिए शिवलिंग पर गंगा जल से जलाभिषेक किया गया था. हर साल कांवड़ यात्रा में लाखों भक्त गंगाजल लेने निकलते हैं और शिवरात्रि पर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं.
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