GSVM MEDICAL COLLEGE NEWS : हैलट (Hallet Hospital) के पीजीआई के न्यूरो डिर्पाटमेंट में बडा विवाद शुरू हो गया है। न्यूरो विभागाध्यक्ष ने अपने ही असिस्टेंट प्रोफेसर पर बड़ा आरोप लगाया है। तीन मरीजों की मौत का कारण इलाज और ऑपरेशन में लापरवाही का कारण असिस्टेंट प्रोफेसर को ठहराया गया है। इसको लेकर विभागाध्यक्ष ने डॉक्टर को ओटी ड्यूटी से हटाते हुए शिकायत प्राचार्य से की है। GSVM MEDICAL COLLEGE NEWS
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जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज (GSVM MEDICAL COLLEGE) की उप प्राचार्य डॉ. रिचा गिरि (Dr. Richa Giri) ने बताया कि न्यूरो विभागाध्यक्ष की ओर उन्हीं के विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर पर शिकायत पत्र मिला है। लापरवाही के कारण तीन मरीजों की मौत का बड़ा आरोप लगाया गया है। जिसकी जांच के लिए तीन वरिष्ठ डॉक्टरों की टीम बनाई गई है। डॉ. सौरभ अग्रवाल, डॉ. चन्द्रशेखर, डॉ. विकास कटियार की टीम जांच करेगी। उन्हें एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट देनी है।
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सरेआम बहस करते हुए हंगामा
हैलट पीजीआई के न्यूरो विभागाध्यक्ष डॉ मनीष सिंह के अनुसार, तीन माह पूर्व लखनऊ के राममनोहर लोहिया अस्पताल से संविदा पर डॉ क्षितिज सिन्हा ने ज्वाइन किया था। वह लगातार कार्य में लापरवाही व मरीजों के इलाज में कोताही बरत रहे। न्यूरो विभाग में डेढ़ से दो सप्ताह के दौरान भर्ती तीन मरीज की उनकी लापरवाही के मौत हो गई। विभागाध्यक्ष ने प्राचार्य को लिखे पत्र में कहा है कि तीनों मरीजों की मौत पर में कहा है कि तीनों मरीजों की मौत पर डॉ क्षितिज से आख्या मांगी। इस पर उन्होंने सरेआम बहस करते हुए हंगामा किया।
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डॉक्टर मनीष सिंह का क्या है आरोप
डॉ मनीष के अनुसार, पहले मरीज के ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी डॉ क्षितिज ने की। सर्जरी के बाद सीटी स्कैन में ब्लीडिंग होने का पता चला। इसके बाद भी डॉ क्षितिज ने कुछ नहीं किया और न ही अपने किसी सीनियर को जानकारी दी। इस वजह से पुरुष मरीज की मौत हो गई। वहीं दूसरा मरीज सीवी जंक्शन का रहा। सर्जरी ठीक से न होने से मरीज लकवाग्रस्त हो गया। इसके बारे भी किसी को कुछ नहीं बताया। आखिर में इसकी भी मौत हो गई। तीसरा मरीज ब्रेन एन्यूरिज्म से पीड़ित था। आरोप है कि इसकी सर्जरी डॉ क्षितिज ने खुद ही शुरू कर दी, जबकि सर्जरी उनसे सीनियर डॉक्टर को करनी थी। इसकी कोई परमिशन भी उन्होंने नहीं ली। बाद में इस मरीज की भी मौत बीपी हाई होने के कारण हो गई।
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आरोपों से घिरे न्यूरो विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ क्षितिज सिन्हा का कहना है कि उनको यहां से हटाने की साजिश की जा रही है। तीन माह पूर्व आने के बाद से लगातार परेशान किया जा रहा है। तीन मरीजों की मौत उनकी किसी भी तरह की लापरवाही से नहीं हुई है। बगैर परमिशन के सर्जरी करने की बात न्यायसंगत नहीं है। ओटी की टीम का चयन विभागाध्यक्ष की रजामंदी से ही होता है। बिना विभागाध्यक्ष की जानकारी के बगैर वह सर्जरी कैसे कर सकेंगे। प्राचार्य को मेरी ओर से एक भी पत्र दिया गया है। जांच कमेटी का सामना करने को तैयार हूं।