KANPUR BIG NEWS : चुन्नीगंज स्थित नजूल की भूमि पर बने 14\137 एपीफैनी कम्पाउंड पर कब्जे कर प्लाट बेचे जाने की जांच की रिपोर्ट कमेटी ने डीएम को सौंप दी है। कमेटी ने चौहद्दी को देखते हुए जमीन को जांच किया तो 14\37 नजूल की जमीन आज के समय की 14\137 मिली है। KANPUR BIG NEWS
एपीफैनी कंपाउंड की चार एकड़ जमीन नजूल की, जांच कमेटी को मिले अहम सुराग
कागजों में दर्ज सडक और आसपास सब उसी प्रकार का है। बताया गया कि जमीन की कीमत अरबों में होने के चलते इसपर कई लोग अपना दावा कर रहे हैं। ब्रिटिश शासनकाल में बालिका अनाथालय, स्कूल के लिए पट्टे पर दिया गया एपी फैनी कंपाउंड कई बार बिका। अलग-अलग मिशनरी के लोग इस पर दावा करते रहे। अब मौके पर उद्देश्य की पूर्ति नहीं मिली। लीज रेंट जमा नहीं हुआ और नवीनीकरण भी नहीं कराया गया।
डीएम राकेश कुमार सिंह ने बताया कि कमेटी ने जांच रिपोर्ट सौंप दी है। अब रिपोर्ट की परीक्षण का जिम्मा एडीएम वित्त को सौंपा गया है। इसके बाद आगे की कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
1861 में पहली बार 99 साल के पट्टे पर दी गई
जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह (Rakesh Kumar Singh) की ओर से सदर एसडीएम एवं ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रखर कुमार सिंह के नेतृत्व में गठित टीम की रिपोर्ट में कई बडे खुलासे हुए हैं। पांच अरब रुपये की 20 हजार वर्गमीटर जमीन खाली मिली है। रिपोर्ट के अनुसार, 1861 में पहली बार ब्रिटिश शासनकाल में बालिका अनाथालय के लिए लेडी सुपरिटेंडेंट सोसाइटी फार प्रापगेशन (एसपीजी) मिशन को लगभग 30 हजार वर्गमीटर जमीन 99 साल के पट्टे पर दी गई थी। इसका उद्देश्य मिशन गर्ल्स आर्फनेज अर्थात बालिका अनाथालय, स्कूल था।
1877 में फिर कल्लूमल आदि ने एसपीजी मिशन को बैनामा कर दिया। 1945 में लखनऊ डायोसिस ट्रस्ट एसोसिएशन (एलडीटीए) को दी गई। 2008 में एलडीटीए ने चर्च आफ इंडिया ट्रस्ट को 100 रुपये के स्टांप पर जमीन लिख दी। फिर 2019 में एलडीटीए ने ही 19 हजार वर्ग मीटर खाली जमीन बेच दी। इसमें ही सलीम बिरयानी का भी 450 वर्गमीटर का प्लाट मिला है। 100-100 वर्ग मीटर की और प्लाटिंग है। पास ही पुरानी रेलवे की जमीन पर भी रिहायश है। बिना DM की अनुमति के जमीन बेची-खरीदी जाती रही। कुछ जमीन ग्वालटोली में भी है, जिसके नाम पर खेल किया गया।
KANPUR NAZUL LAND : नजूल की तीन और संपत्तियों की जांच को कमेटी गठित
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क्या मिला कम्पाउंड में
चुन्नीगंज स्थित एपीफैनी कंपाउंड की जमीन की जांच टीम ने पूरी कर ली है। जांच में टीम को आधी जमीन पर कब्जा और पिलर खड़े मिले हैं। सात से आठ परिवार वहां पर रह रहे हैं। वहीं आधी जमीन खाली पड़ी है। इसे सन 1861 में एक मिश्नरी संस्था को 99 साल की लीज पर दिया गया था, जिसकी लीज 64 साल पहले ही खत्म हो चुकी है। ऐसे में यहां अवैध तरीके से प्लॉट काटे जा रहे थे। एसडीएम सदर प्रखर कुमार सिंह के नेतृत्व वाली जांच कमेटी ने नजूल रजिस्टर की पड़ताल करके कई अहम तथ्य निकाले हैं। उक्त जमीन नजूल रजिस्टर में दर्ज मिली है। NAZUL LAND
ऐसे में लीज पर दी गई जमीन को बेचा नहीं जा सकता है। इसके बावजूद पॉवर ऑफ अटार्नी के जरिए करोड़ों की जमीन को खरीदा और बेचा जा रहा है। NAZUL की जमीन का पट्टा खत्म होते ही वह वापस सरकारी हो जाती है। ऐसे में प्रशासन के नजरिए से जमीन पर सभी दावे अवैध हैं। फिर भी दस्तावेजों पर मंथन हो रहा है। इसके बाद जमीन को सरकारी भूमि में दर्ज किया जाएगा।