Garuda Purana : सनातन धर्म में कुल 16 संस्कार बताए गए हैं, जिसमें 16वां संस्कार अंतिम संस्कार माना जाता है। हिंदू धर्म में व्यक्ति की मृत्यु के बाद कई परंपरा निभाई की जाती है। Garuda Purana
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अंतिम संस्कार की मान्यताओं में एक मान्यता है कि जब भी किसी की मृत्यु हो जाती है तो परिवार की महिलाओं को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट नहीं जाना चाहिए. Garuda Purana
हिंदू पुराणों में महिलाओं को श्मशान घाट जाना वर्जित बताया गया है और साथ ही यह भी बताया गया है कि महिलाओं को शमशान घाट क्यों नहीं जाना चाहिए. प्रत्येक धर्म की अपनी अलग- अलग संस्कृति और मान्यताएं हैं. इसी तरह हिंदू धर्म में भी कुछ ऐसी मान्यताएं महिलाओं के श्मशान न जाने को लेकर प्रचलित हैं.
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महिलाएं क्यों नहीं जाती है श्मशान घाट?
गरुड़ पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार, महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा कमजोर दिल का माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि अगर मृत शरीर को अग्निदाह देते हुए कोई रोता है तब उस व्यक्ति की आत्मा को शांति नहीं मिलती है. महिलाओं का जलते हुए शव को देखना और रोना लगभग असंभव सा लगता है, इसलिए महिलाओं को श्मशान घाट ले जाना वर्जित माना जाता है.
श्मशान घाट में ऐसी और भी चीज़ें होती हैं जिनका देखना महिलाओं और बच्चों के लिए उचित नहीं है, जैसे शव को जलाने से पूर्व उसके कपाल को डंडे से मारा जाता है जो कि एक परंपरा के अंतर्गत आता है. लेकिन महिलाओं और बच्चों के लिए यह दृश्य देखना उनको मानसिक स्तर पर भी प्रभावित कर सकता है. कई बार शव जलते हुए अकड़ता है और आवाज करता है जो कि महिलाओं और बच्चों को डरा भी सकता है इसलिए उन्हें इस प्रक्रिया से दूर रखा जाता है.
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क्या कहता है गरुड़ पुराण?
गरुड़ पुराण में वर्णित मान्यताओं में से एक मान्यता यह भी है कि शव को ले जाने के बाद घर को धार्मिक रूप से पवित्र और शुद्ध किया जाना बहुत आवश्यक है. इसके लिए किसी का घर पर रहकर इस कार्य को पूर्ण विधि विधान से करना अनिवार्य है. यह जिम्मेदारी महिलाएं अच्छे से निभा सकती हैं. यही सोचकर पुरुषों को श्मशान घाट जाकर शव के अग्निदाह की जिम्मेदारी सौंपी गयी है और जिम्मेदारी के दूसरे पहलू को निभाने का उत्तरदायी महिलाओं को माना गया है जिसे महिलाएं पुरुष के घर आने के बाद उन्हें स्नान कराने और पवित्र करने का कार्य करती है.
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इसके पीछे का दूसरा कारण भी है कि जब शव जलाया जाता है तब वातावरण में कीटाणु फैल जाते हैं जो कि शरीर के कोमल भाग पर चिपक कर बीमारी का कारण बन सकते हैं. इसलिए उनके शरीर पर चिपके कीटाणु और नकारात्मक ऊर्जा को घर के बाहर छोड़ने के लिए ऐसा किया जाता है.
इसलिए महिलाओं का श्मशान घाट जाना है वर्जित
कुछ और हिंदू धर्म पर आधारित कारणों के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि श्मशान घाट में बुरी आत्माओं का वास होता है जो कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की तरफ ज्यादा आकर्षित होती हैं और खासकर कुंवारी कन्याओं की तरफ. लोक मान्यता है कि बुरी शक्तियां कुंवारी महिलाओं पर ज्यादा प्रभाव डालते हैं और उन्हें अपने वश में कर उनके शरीर में प्रवेश कर लेते हैं. बुरी शक्तियों के भयावह प्रभाव से बचाने के लिए ही महिलाओं को श्मशान घाट जाने की मनाही होती है.
हिंदू धर्म की संस्कृति के अनुसार, यह भी कहा जाता है कि जो भी परिवार का सदस्य श्मशान घाट जाकर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में शामिल होता है उसके लिए अपना मुंडवाना अनिवार्य होता है. इस परंपरा को ध्यान में रखते हुए ही महिलाओं को श्मशान घाट नहीं जाने दिया जाता है.
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