Diwali 2024 : दिवाली (Diwali) हर साल भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण 14 वर्ष वनवास बिताने के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। Diwali 2024
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इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी के संग राम परिवार के पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। दिवाली के दिन दीपक जलाएं जाते हैं। चलिए जानते हैं दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त के बारे में।
दिवाली 2024 में कब है?
बता दें कि दीवाली हमेशा अमावस्या वाले दिन मनाई जाती है. शास्त्रों के अनुसार 31 अक्टूबर यानी गुरूवार को अमावस्था तिथि दिन में 2 बजकर 40 मिनट से लग रही है. इस कारण से दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी. दीपावली के त्योहार पर रात्रि में अमावस्या तिथि होनी चाहिए जो कि 1 नवंबर 2024 को शाम के समय नहीं है. ऐसे में दीवाली का त्योहार 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
दीपावली पूजन शुभ मुहूर्त
दीपावली में लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे अधिक शुभ समय प्रदोषव्यापिनी अर्थात सूर्यास्त के बाद त्रिमुहूर्त में, कार्तिक अमावस्या को महालक्ष्मी पूजन किया जाता है. दिनांक 31 अक्टूबर 2024 को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि शाम 03:53 बजे तक है और इस समय अमावस्या तिथि की शुरुआत हो जाएगी जोकि 1 नवंबर को शाम 06:17 बजे तक रहेगी.
ऐसे में 1 नवंबर 2024 को महालक्ष्मी पूजन के लिए बहुत कम समय बच रहा है क्योंकि शाम को जल्दी ही अमावस्या तिथि समाप्त हो जाएगी. लेकिन 31 अक्टूबर 2024 को अमावस्या की तिथि होते हुए भी लक्ष्मी पूजन नहीं किया जाएगा इसके लिए शास्त्रों में कुछ प्रमाण दिए गए हैं जोकि इस प्रकार से हैं-
अथाश्विनामावस्यायां प्रातरभ्यंगः प्रदोषे दीपदानलक्ष्मी-परजनादि विहितम्। तत्र सूर्योंदयं व्याप्ति-अस्तोत्तरं घटिकाधिकरात्रिव्यापिनी दर्शे सति न संदेहः। ( धर्मसिन्धु)
अर्थ- कार्तिक अमावस्या को प्रदोष के समय लक्ष्मी पूजन के लिए कहा गया है. उसमें यदि सूर्योंदय से लेकर सूर्यास्त के अनन्तर 1 घड़ी अर्थात 24 मिनट से अधिक रात्रि तक (प्रदोषकाल) अमावस्या हो, तो कुछ संदेह की बात नहीं है.
परदिने एव दिनद्वयेपि वा प्रदोषव्याप्तौ परा। पूर्वत्रैव प्रदोषव्याप्तौ लक्ष्षीपूजनादौ पूर्वां।(धर्मसिन्धुः)
अर्थ- अगले दिन ही या दोनों दिन प्रदोषव्यापिनी अर्थात अमावस्या हो तो अगली अमावस्या लेनी होगी.
व्याप्तिरिति पक्षे परत्र यामत्रयाधिकव्यापिदर्शे दर्श्पेक्षया प्रतिपद्वृदधिसत्वे लक्ष्मीपूजादिकमपि परत्रैवेत्युक्तम्।
एतन्मते उभयत्र प्रदोषाव्याप्ति-पक्षेपि परत्र ‘दर्शस्य सार्धयामत्रयाधिक-व्याप्ति-त्वात्परैव युक्तति भाति। (पुरुषार्थ-चिन्तामणि)
अर्थ- यदि अमावस्या केवल पहले दिन ही प्रदोषव्याप्त हो और यदि अगले दिन अमावस्या तीन प्रहर से अधिक व्याप्त हो तथा दूसरे दिन भी प्रतिपदा वृद्धगामिनी होकर तीन प्रहर के उपरांत समाप्त हो रही हो, तो लक्ष्मी पूजन अगले दिन ही करें.
इसी प्रकार यदि दोनों दिन अमावस्या प्रदोषव्यापत होने से अगले दिन ही लक्ष्मी पूजन युक्तियुक्त होगा.
अतः महालक्ष्मी पूजन 1 नवंबर 2024, शुक्रवार को शाम में सूर्यास्त से आधा घंटा पहले और सूर्यास्त के 2 घंटा 24 मिनट के बीच में अर्थात शाम 05:03 बजे लेकर 7:57 बजे के बीच महालक्ष्मी पूजन कर सकते हैं. यदि बिल्कुल ही शुद्ध समय लेना हो तो शाम 5:33 बजे से 6:17 के बीच का उचित रहेगा.
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ऐसे करें पूजा
दीवाली की पूजा शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए।
घर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
संध्याकाल में चौकी पर मां लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति को विराजमान करें।
अब उन्हें फूलमाला, रोली और चंदन अर्पित करें।
दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों का जप करें।
फल और मिठाई का भोग लगाएं।
जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें।
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करें ये कार्य
इस दिन एक थाली में पांच दीपक दीपक जलाएं। इसके बाद इन दीपक को मंदिर में रखें और पूजा-अर्चना करें। इसके बाद दीपकों को घर के अलग-अलग हिस्सों में रखें। इस कार्य को करना शुभ माना जाता है।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। JAIHINDTIMES लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं।