Mahabharat Katha : द्रौपदी महाभारत (Mahabharat) के मुख्य पात्रों में से एक रही है। कई लोग द्रौपदी द्वारा दुर्योधन का अपमान करने को भी महाभारत का कारण मानते हैं। Mahabharat Katha
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ऐसे में चलिए जानते हैं कि द्रौपदी ने भीम के पुत्र को ऐसा कौन-सा श्राप दिया था, जिसके कारण उसे कम उम्र में ही मृत्यु का सामना करना पड़ा।
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कथा
एक बार घटोत्कच का अपने पिता भीम के साथ पांडवों के राज्य देखने आया। हिडिंबा ने घटोत्कच को यह कहकर भेजा था कि तुम द्रोपदी का सम्मान मत करना। अपनी मां के कहने पर घटोत्कच ने भरी सभा में भी द्रोपदी को कोई सम्मान नहीं दिया। जिस कारण द्रौपदी को अपमान महसूस हुआ।
घटोत्कच को दिया यह श्राप
इससे द्रोपदी बहुत ही क्रोधित हो गई और उसने क्रोध में घटोत्कच से कहा कि मैं पांडवों की पत्नी और एक राजा की पुत्री हूं और मेरा सम्मान इस सभा में कई अधिक है। तुमने अपनी राक्षसी मां के कहने पर मुझे भरी सभा में अपमानित किया है और अब तुम्हें इसका परिणाम झेलना होगा। तब द्रौपदी ने घटोत्कच को यह श्राप दिया कि तुम्हारी कम उम्र में ही मृत्यु हो जाएगी और तुम बिना युद्ध लड़े ही मारे जाओगे।
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कर्ण ने चलाया अमोघ अस्त्र
घटोत्कच को द्रौपदी द्वारा दिए गए श्राप के परिणाम स्वरूप ही युद्ध भूमि में अपने प्राण गंवाने पड़े। महाभारत के युद्ध के दौरान कर्ण ने अपने परम मित्र दुर्योधन के कहने पर घटोत्कच पर अमोघ अस्त्र से प्रहार कर दिया था। हालांकि वह इस अस्त्र का प्रयोग अर्जुन पर करना चाहता था। कर्ण के अमोघ अस्त्र से घटोत्कच बच न सका और उसकी बिना लड़े ही मृत्यु हो गई।
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