Sharad Purnima 2024: हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) का पर्व मनाया जाता है। Sharad Purnima 2024
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इस दिन विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्ति के लिए साधक भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखते हैं। साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में।
डेट और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 16 अक्टूबर को रात्रि 08 बजकर 40 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 17 अक्टूबर को शाम को 04 बजकर 55 मिनट पर होगा। ऐसे में शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर (Sharad Purnima 2024) को मनाया जाएगा। इस दिन चंद्रोदय शाम को 05 बजकर 05 मिनट पर होगा।
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पंचांग
सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 23 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 50 मिनट पर
चंद्रोदय- शाम 05 बजकर 05 मिनट पर
चंद्रास्त- 17 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 58 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 42 मिनट से 05 बजकर 32 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 01 मिनट से 02 बजकर 47 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 50 मिनट से 06 बजकर 15 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – 17 अक्टूबर को रात्रि 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक
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धार्मिक महत्व
सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा के पर्व को महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पर्व को कोजागरी पूर्णिमा, कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान अवतरित हुईं थीं। इसी वजह से शरद पूर्णिमा के शुभ अवसर पर विधिपूर्वक मां लक्ष्मी और जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और व्रत करने का विधान है। इससे जातक को सुख-समृद्धि, धन वैभव की प्राप्ति होती है।
मां लक्ष्मी के मंत्र
1. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
3. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।
4. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।
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