Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के 9 जजों की बड़ी बेंच ने अहम फैसले में कहा कि सरकार सभी निजी संपत्तियों का इस्तेमाल नहीं कर सकती, जब तक कि सार्वजनिक हित ना जुड़ रहे हों। Supreme Court
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मामले पर सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने 1978 (45 साल पहले) में दिया गया अपना ही फैसला पलट दिया।
CJI DY Chandrachud की अध्यक्षता में 9 जजों की बेंच ने 7:2 के बहुमत से फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा, ‘हर निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति नहीं कह सकते। कुछ खास संसाधनों को ही सरकार सामुदायिक संसाधन मानकर इनका इस्तेमाल आम लोगों के हित में कर सकती है।’
बेंच ने 1978 में दिए जस्टिस कृष्ण अय्यर के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था, ‘सभी निजी संपत्तियों पर राज्य सरकारें कब्जा कर सकती हैं।’ CJI बोले- पुराना फैसला विशेष आर्थिक, समाजवादी विचारधारा से प्रेरित था। हालांकि, राज्य सरकारें उन संसाधनों पर दावा कर सकती हैं जो भौतिक हैं और सार्वजनिक भलाई के लिए समुदाय द्वारा रखे जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत के फैसले से कहा कि सभी निजी संपत्तियां संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत ‘समुदाय के भौतिक संसाधनों’ का हिस्सा नहीं बन सकती हैं और राज्य के अधिकारियों की तरफ से “सार्वजनिक भलाई” के लिए इसे अपने कब्जे में नहीं लिया जा सकता है।
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सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा…
राज्य उन संसाधनों पर दावा कर सकता है जो सार्वजनिक हित के लिए हैं और समुदाय के पास हैं। उनका कहना है कि हर निजी संपत्ति को सार्वजनिक संपत्ति नहीं कहा जा सकता। संविधान पीठ ने इस साल 1 मई को सुनवाई के बाद निजी संपत्ति मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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