Dev Uthani Ekadashi : कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी 12 नवंबर को देवोत्थान( देवउठनी) एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) धूमधाम से मनाई जाएगी। चार माह बाद भगवान विष्णु योग निद्रा से जागेंगे। माता तुलसी से भगवान शालीग्राम का विवाह भी किया जाएगा। Dev Uthani Ekadashi 2024
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इसी दिन से मांगलिक कार्य भी होने शुरू हो जाएंगे। इसके पहले 17 जुलाई को हरिशयनी एकादशी से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले गए थे, मांगलिक कार्यों पर विराम लग गया था।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि गोवर्धन पूजा के बाद से लोग शादी के लिए बातचीत शुरू कर दिए हैं। परंपरा के अनुसार माता तुलसी का भगवान शालीग्राम से विवाह द्वादशी के दिन 13 नवंबर को होगा। कुछ श्रद्धालु एकादशी के दिन भी तुलसी विवाह करते हैं।
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देवउठनी एकादशी का धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी से भगवान विष्णु चार महीने के योग निद्रा से जागते हैं। इसलिए इस दिन देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन से शुभ और मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। इस शुभ तिथि पर साधक व्रत करते हैं और विधिपूर्वक भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही विशेष चीजों का दान करते हैं। मान्यता है कि इस एकादशी व्रत को करने से जातक को सभी तरह के पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति होती है।
देवउठनी एकादशी 2024 डेट और टाइम
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर को संध्याकाल 06 बजकर 46 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 12 नवंबर को संध्याकाल 04 बजकर 04 मिनट पर होगा। इस प्रकार 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी है। इसके अगले दिन तुलसी विवाह का पर्व भी मनाया जाएगा। एकादशी व्रत पारण करने का मुहूर्त इस प्रकार है-
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देवउठनी एकादशी व्रत का पारण 12 नवंबर को सुबह 06 बजकर 42 मिनट से लेकर 08 बजकर 51 मिनट तक है।
करें इन मंत्रों का जप
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
विष्णु के पंचरूप मंत्र –
ॐ अं वासुदेवाय नम:।।
ॐ आं संकर्षणाय नम:।।
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।।
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।।
ॐ नारायणाय नम:।।
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
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