Cortisol Imbalance Side Effect: क्या आपने कभी सोचा है कि हम खुश क्यों होते हैं या फिर स्ट्रेस में क्यों आ जाते हैं? आपने एंडोर्फिन के बारे में तो सुना ही होगा, जिसके काम हमें खुशी देना होता है. Cortisol Imbalance Side Effect
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लेकिन क्या आप जानते हैं कि तनाव के लिए कौन-सा हार्मोन जिम्मेदार होता है? जी हां, आपने बिल्कुल सही सोचा – कोर्टिसोल! यही वजह है कि इसे अक्सर ‘स्ट्रेस हार्मोन’ भी कहा जाता है। आइए इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कि शरीर में इस हार्मोन का स्तर घटने या बढ़ने पर कौन-कौन सी दिक्कतें हो सकती हैं?
क्या है कोर्टिसोल और कैसे काम करता है?
कोर्टिसोल एक स्टेरॉयड हार्मोन है जो हमारे शरीर की एड्रेनल ग्रंथियों द्वारा बनाया जाता है। जब हम किसी स्ट्रेसफुल सिचुएशन में होते हैं, तो ये ग्रंथियां कोर्टिसोल का प्रोडक्शन बढ़ा देती हैं। कोर्टिसोल शरीर को स्ट्रेस से निपटने के लिए तैयार करता है। यह न केवल तनाव प्रतिक्रिया को नियंत्रित करता है, बल्कि ब्लड शुगर के स्तर को स्थिर रखने, मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने और सूजन को कम करने में भी मददगार होता है। इसके अलावा, कोर्टिसोल मेमोरी पावर को मजबूत बनाता है और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करके हार्ट हेल्थ को भी दुरुस्त बनाए रखता है। गर्भावस्था के दौरान, यह भ्रूण के विकास के लिए बेहद जरूरी होता है। कोर्टिसोल शरीर में नमक और पानी के संतुलन को भी बनाए रखता है, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए काफी जरूरी है।
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कमी से होने वाली दिक्कतें
कोर्टिसोल, हमारे शरीर के लिए एक जरूर हार्मोन है। यह तनाव के समय शरीर को प्रतिक्रिया करने में मदद करता है। हालांकि, कोर्टिसोल की अधिकता और कमी, दोनों ही सेहत के लिए हानिकारक हो सकती हैं।
कोर्टिसोल की कमी एक गंभीर स्थिति हो सकती है। इसे ‘प्राइमरी एड्रेनल इन्सफीसियंसी’ या एडिसन रोग भी कहा जाता है। यह एक दुर्लभ प्रकार की ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से एड्रेनल ग्रंथियों पर हमला कर देता है। ये ग्रंथियां कोर्टिसोल का प्रोडक्शन करती हैं। ऐसे में, धीरे-धीरे एडिसन रोग के लक्षण विकसित होते हैं और इसमें थकान, मांसपेशियों की कमजोरी, वजन कम होना, मूड में उतार-चढ़ाव और त्वचा में बदलाव जैसी समस्याएं झेलनी पड़ सकती हैं। बता दें कि समय के साथ, ये लक्षण काफी गंभीर भी हो सकते हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे, तो आपको डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
क्या होगा अगर बढ़ जाए कोर्टिसोल का स्तर?
कई लोगों को पिट्यूटरी या एड्रेनल ग्रंथियों में ट्यूमर होने की समस्या होती है। यह ट्यूमर कुशिंग सिंड्रोम नामक एक गंभीर स्थिति का कारण बन सकता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ब्लड में कोर्टिसोल नामक हार्मोन का बढ़ा हुआ स्तर इस सिंड्रोम का बड़ा कारण है।
कुशिंग सिंड्रोम के प्रमुख लक्षणों में चेहरे, पेट और छाती पर तेजी से वजन बढ़ना शामिल है। इसके साथ ही, हाथ और पैर पतले रह जाते हैं, जिससे शरीर का आकार असामान्य लगने लगता है। इसके अलावा, चेहरे पर लाल धब्बे, हाई ब्लड प्रेशर, त्वचा में बदलाव, ऑस्टियोपोरोसिस और मूड में उतार-चढ़ाव जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। महिलाओं में कुशिंग सिंड्रोम के कारण कई और समस्याएं हो सकती हैं। जैसे कि सेक्स की इच्छा में कमी, पीरियड्स ठीक से न आना, हमेशा परेशान या उदास रहना।
कुल मिलाकर कोर्टिसोल हमारे शरीर के लिए एक जरूरी हार्मोन है, लेकिन इसका लेवल बैलेंस होना बहुत जरूरी है। ऐसे में, अगर आपको लगता है कि आपके कोर्टिसोल के स्तर में कोई समस्या है, तो आपको डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
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कोर्टिसोल को कैसे बैलेंस करें?
एक्सरसाइज
रोजाना थोड़ी देर की फिजिकल एक्टिविटी से कोर्टिसोल के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद मिल सकती है। आप योग जैसी गतिविधियों को अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं जो न केवल शरीर को मजबूत बनाती हैं बल्कि मन को भी शांत करती हैं। ये गतिविधियां शरीर और मन दोनों के लिए फायदेमंद होती हैं और तनाव को कम करने में मदद करती हैं।
हेल्दी डाइट
शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ने से रोकने में एक बैलेंस डाइट बड़ा रोल प्ले करती है। प्रोटीन, विटामिन, फाइबर और न्यूट्रिएंट्स से भरपूर फूड आइटम्स को अपनी डाइट में शामिल करें। इनमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज, दालें और कम फैट वाले डेरी प्रोडक्ट्स शामिल हैं। साथ ही, चीनी, प्रोसेस्ड फूड्स और जंक फूड का सेवन कम से कम करें।
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रात में कैफीन से दूर रहें
कई लोग रात को चाय-कॉफी पीना पसंद करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि इससे शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ सकता है? कोर्टिसोल एक तनाव हार्मोन है जो नींद को बाधित करता है। इसलिए, रात को कैफीन का सेवन कम से कम करना चाहिए।
कई शोध से यह साबित हुआ है कि पालतू जानवरों के साथ समय बिताने से हमारे शरीर में खुशी का हार्मोन डोपामाइन बढ़ता है और तनाव कम करने वाला हार्मोन सेरोटोनिन भी रिलीज़ होता है। इससे न सिर्फ हमारा मूड बेहतर होता है बल्कि हम ज्यादा शांत और आरामदायक भी महसूस करते हैं।
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