जानें, कब है देवशयनी एकादशी और क्या है इसका महत्व
आषाढ़ शुक्ल एकादशी को “देवशयनी एकादशी” कहा जाता है. इस एकादशी से अगले चार माह तक श्रीहरि विष्णु योगनिद्रा मे चले जाते हैं इसलिए अगले चार माह तक शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं. इसी समय से चातुर्मास की शुरुआत भी हो जाती है. इस एकादशी से तपस्वियों का भ्रमण भी बंद हो जाता है. इन दिनों में केवल ब्रज की यात्रा की जा सकती है. इस बार देवशयनी एकादशी 23 जुलाई को है.
क्या वास्तव में देवशयनी एकादशी से भगवान सो जाते हैं?
- हरि और देव का अर्थ तेज तत्व से भी है
- इस समय में सूर्य चन्द्रमा और प्रकृति का तेज़ कम होता जाता है
- इसलिए इस समय से अगले चार माह तक शुभ कार्य करने की मनाही होती है
- इसीलिए कहा जाता है कि, देव शयन हो गया है
- तेज तत्व या शुभ शक्तियों के कमजोर होने पर किये गए कार्यों के परिणाम शुभ नहीं होते
- इसके अलावा कार्यों में बाधा आने की सम्भावना भी होती है
देवशयनी एकादशी पर क्या क्या वरदान मिल सकते हैं?
- सामूहिक पापों और समस्याओं का नाश होता है
- व्यक्ति का मन शुद्ध होता है- दुर्घटनाओं के योग टल जाते हैं
- इस एकादशी के बाद से शरीर और मन को नवीन किया जा सकता है
देवशयनी एकादशी पर कैसे करें पूजा उपासना?
- रात्रि को विशेष विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें
- उन्हें पीली वस्तुएं, विशेषकर पीला वस्त्र अर्पित करें
- इसके बाद उनके मंत्रों का जप करें, आरती उतारें
- आरती के बाद निम्न मंत्र से भगवान् विष्णु की प्रार्थना करें
- ‘सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्.विबुद्धे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्..
- प्रार्थना के बाद भगवान् से करुणा करने के लिए कहें.