Supreme Court‘s harsh Comment on UP Police : ‘ याचिकाकर्ता शायद इसलिए पेश नहीं हो रहा, क्योंकि उसे पता है कि पुलिस उस पर एक और केस दर्ज करेगी। यूपी पुलिस सत्ता का आनंद ले रही है। आप कितने मामले दर्ज करेंगे? आप अपने डीजीपी को बताएं कि हम कड़ा आदेश पारित कर सकते हैं।’
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सुप्रीम कोर्ट जस्टिस कांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की और पाया कि याचिकाकर्ता, जिसके खिलाफ कई FIR दर्ज हैं, उसको डर है कि अगर वह जांच के लिए पेश हुआ तो उसके खिलाफ नया मामला दर्ज किया जाएगा।
यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फर्रुखाबाद के गैंगस्टर अनुराग दुबे की अग्रिम जमानत पर सुनवाई के दौरान की। कोर्ट ने यूपी पुलिस के वकील से कहा- जमीन हड़पने का आरोप लगाना बहुत आसान है। यहां तक कि विक्रय पत्र होने के बावजूद भी आप जमीन हड़पने की बात कह रहे हैं? क्या यह दीवानी विवाद है या आपराधिक विवाद? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस को संवेदनशील होने की जरूरत है। आजकल सब कुछ डिजिटल है। सीधे समन कौन भेजता है? Supreme Court
कोर्ट के आदेश के बिना हिरासत में न लें
कोर्ट ने कहा कि अनुराग दुबे ने अपना मोबाइल फोन हमेशा चालू रखने और जांच में सहयोग करने को कहा है। कोर्ट की इजाजत के बिना किसी भी मामले में और किसी भी परिस्थिति में हिरासत में नहीं लिया जा सकता। अनुराग दुबे की अंतरिम जमानत जारी रहेगी।
जानिए क्या है मामला
फर्रुखाबाद के मऊ दरवाजा थाने में अनुराग दुबे उर्फ डब्बन के खिलाफ धोखाधड़ी, मारपीट और जालसाजी समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज है। अनुराग दुबे कसरटट्ट में रहता है। उसके कोर्ट में हाजिर न होने पर हाजिरी नोटिस मुख्य गेट पर चस्पा किया है। अनुराग दुबे का भाई अनुपम दुबे मथुरा जेल में बंद है। अनुपम दुबे बसपा नेता है। इंस्पेक्टर रामनिवास यादव और पीडब्ल्यूडी ठेकेदार शमीम की हत्या के मामले में जेल जा चुका है।
दोनों भाई गैंग चलाते हैं
अनुपम और अनुराग दुबे पर कुल 10 मामलों की जांच चल रही है। आरोप है कि दोनों भाई गैंग चलाते हैं। यह गैंग जिले में दहशत फैलाने के लिए अवैध शस्त्रों और आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हैं। लोग डर कर पुलिस में शिकायत नहीं करते हैं। पुलिस ने इस गैंग पर शिकंजा कसते हुए गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई तेज कर दी है।
उसे पूरी जिंदगी याद रहेगा
“उसे पेश नहीं होना चाहिए क्योंकि उसे पता है कि आप एक और झूठा मामला दर्ज करेंगे। उसे वहां गिरफ्तार कर लेंगे। आप अपने डीजीपी को बता सकते हैं कि जैसे ही उसे (दुबे को) छुआ जाएगा, हम ऐसा कठोर आदेश पारित करेंगे कि उसे पूरी जिंदगी याद रहेगा। हर बार आप उसके खिलाफ एक नई FIR लेकर आते हैं! अभियोजन पक्ष कितने मामलों को बरकरार रख सकता है? जमीन हड़पने का आरोप लगाना बहुत आसान है।
कोई व्यक्ति जिसने पंजीकृत बिक्री विलेख द्वारा खरीदा है, आप उसे जमीन हड़पने वाला कहते हैं! क्या यह दीवानी विवाद है या आपराधिक विवाद? हम केवल यह बता रहे हैं कि आपकी पुलिस किस खतरनाक क्षेत्र में प्रवेश कर रही है। वे इसका आनंद ले रहे हैं! कौन सत्ता से चूकना चाहेगा? अब आप पुलिस की शक्ति ग्रहण कर रहे हैं, अब आप दीवानी न्यायालय की शक्ति ग्रहण कर रहे हैं! इसलिए आप इसका आनंद ले रहे हैं।”